हमारी सुरुआत की 12 साल की शिक्षा स्कूल से ही होती है स्कूल अनेक प्रकार के होते लेकिन हमें वंहा Sincerity, Capacity, Honesty, Orderliness, Obedience, Learning इत्यादि ही सिखाया जाता है ।
लेकिन स्कूल में स्कूल का फुल फॉर्म सायद ही बताया जाता है और बहुत से ऐसे लोग भी जिन्हें School पूरा नाम नही जानते है । क्युकी स्कूल का कोई फुल फॉर्म तो नही होता लेकिन कुछ Expert लोगों के अपने Cretivity से स्कूल का पूरा नाम बनाया गया है ।
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जिसके बारे में आज आपको स्कूल के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी जिसके लिए आपको अंत तक जरुर बनें रहे ।
School Full Form
स्कूल का फुल फॉर्म हिंदी में “Sincerity, Capacity, Honesty, Orderliness, Obedience, Learning” हिंदी में “ सच्चाई, क्षमता, ईमानदारी, सुव्यवस्था, आज्ञाकारी, सीखना” होता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां बच्चों को इन मूल्यों को सिखाया जाता है ताकि वे अपनी capabilities को बढ़ा सकें ।
Full Form | हिंदी अर्थ |
---|---|
Sincerity | सच्चाई |
Capacity | क्षमता |
Honesty | ईमानदारी |
Orderliness | सुव्यवस्था |
Obedience | आज्ञाकारिता |
Learning | सीखना |
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स्कूल का पूरा अर्थ क्या है?
स्कूल शब्द का अर्थ केवल एक Educational Institute तक सीमित नहीं है, बल्कि यह विभिन्न references में विस्तृत Meaning रखता है। स्कूल शब्द का अर्थ विस्तार से इस प्रकार है-
Educational Institute- स्कूल एक ऐसी जगह है जहाँ बच्चों को शिक्षा (Education) प्रदान की जाती है। यह एक ऐसा Institution है जहाँ बच्चों के शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक और नैतिक गुणों का विकास होता है।
vacation spot – अंग्रेजी के ‘School’ शब्द की उत्पत्ति ग्रीक शब्द ‘σχολή’ (scholē) से हुई है, जिसका अर्थ है ‘अवकाश’। प्राचीन यूनान में अवकाश के समय में विचार-विमर्श और आत्म-विकास के लिए निर्धारित स्थलों को स्कूल कहा जाता था।
learning process- School शब्द का प्रयोग सीखने की प्रक्रिया के लिए भी किया जाता है, जैसे कि ‘schooling’या ‘स्कूल जाना’।
समूह (Group)- यह शब्द एक बड़े Group के लिए भी प्रयोग होता है, जैसे ‘A school of fish’ यानी मछलियों का झुंड होता है ।
Training & Development – स्कूल शब्द का प्रयोग व्यक्ति को Training करने या उसकी निर्णय क्षमता को develop करने के लिए भी किया जाता है।
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स्कूल का इतिहास
शिक्षा का इतिहास विश्व भर में विविधता लिए हुए है, और भारत में इसकी जड़ें बहुत प्राचीन हैं। प्राचीन भारत में, शिक्षा का मुख्य केंद्र गुरुकुल हुआ करते थे, जहाँ शिक्षा अध्यात्मिकता पर आधारित थी और इसे मुक्ति एवं आत्मबोध के साधन के रूप में देखा जाता था।
गुरुकुल में शिक्षा व्यक्तिगत और व्यावहारिक थी, और शिक्षक (गुरु) और शिष्य के बीच गहरा संबंध होता था।
मुग़ल काल में, ‘मदरसों’ की स्थापना हुई, जहाँ धर्मशास्त्र, क़ानून, खगोलशास्त्र जैसे विषयों की Education दी जाती थी।
ब्रिटिश राज के दौरान, शिक्षा में एक बड़ा परिवर्तन आया जब लॉर्ड मैकाले ने english education प्रणाली को प्रोत्साहित किया, जिससे गुरुकुल प्रथा का ह्रास हुआ और Convent और public schools की स्थापना हुई।
आधुनिक भारत में, शिक्षा का अधिकार एक मौलिक अधिकार है, और सरकार ने वर्ष 2009 में ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम’ पारित किया, जिसके अनुसार 6 से 14 साल के सभी बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
इसके अलावा, सर्व शिक्षा अभियान और अन्य योजनाओं के माध्यम से शिक्षा की पहुँच और गुणवत्ता में सुधार के प्रयास किए जा रहे हैं।
सरकारी स्कूलों के लिए प्रमुख फायदे क्या हैं?
सरकारी स्कूलों के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
No fees or nominal fees – सरकारी स्कूलों में आमतौर पर शिक्षा मुफ्त होती है या बहुत ही कम fees ली जाती है।
free books and uniform- छात्रों को free books और स्कूल uniform प्रदान की जाती है।
पौष्टिक दोपहर का भोजन- सरकारी स्कूलों में छात्रों को स्वादिष्ट और पौष्टिक दोपहर का भोजन मिलता है।
खुले हवादार कमरे और परिसर– अच्छे वातावरण के साथ पढ़ाई के लिए उपयुक्त स्थान प्रदान किया जाता है।
स्वच्छ शौचालय और पीने का पानी- स्कूलों में स्वच्छता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
All round development– छात्रों के सर्वांगीण Development के लिए विभिन्न मूलभूत सुविधाएं और activities प्रदान की जाती हैं।
सरकारी स्कूल शिक्षा को सभी के लिए सुलभ बनाने का प्रयास करते हैं, जिससे समाज के हर वर्ग के बच्चे शिक्षा प्राप्त कर सकें।
स्कूल कितने प्रकार के होते है ?
केंद्रीय स्कूल (Central School)
केंद्रीय विद्यालय, जिन्हें Central School भी कहा जाता है, भारत सरकार द्वारा संचालित Educational Institute हैं। इनकी स्थापना मुख्य रूप से भारतीय सशस्त्र बलों और केंद्रीय government employees के बच्चों के लिए की गई थी, ताकि उन्हें देश भर में transferred होने पर भी समान educational standards प्राप्त हो सकें।
केंद्रीय विद्यालयों का प्रबंधन Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) द्वारा किया जाता है और ये स्कूल सीबीएसई (CBSE) बोर्ड से संबद्ध होते हैं। इन स्कूलों में प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर तक की शिक्षा दी जाती है, और यहाँ Science, Mathematics, English, Social Science, विदेशी भाषाएँ आदि विषयों में शिक्षा प्रदान की जाती है।
केंद्रीय विद्यालयों में प्रवेश आमतौर पर एक priority system के आधार पर होता है, जिसमें सरकारी कर्मचारियों के बच्चों को Priority दी जाती है। इन स्कूलों में शिक्षा का स्तर उच्च माना जाता है और ये छात्रों को विभिन्न खेल और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने के अवसर भी प्रदान करते हैं।
भारत में Central School की संख्या 1,248 से अधिक है, और विदेश में मॉस्को, तेहरान और काठमांडू में भी केंद्रीय विद्यालय स्थित हैं।
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संस्कृत स्कूल (Sanskrit School)
संस्कृत स्कूल वे शैक्षिक संस्थान होते हैं जहाँ संस्कृत भाषा और साहित्य की शिक्षा दी जाती है। संस्कृत, भारत की एक प्राचीन भाषा है जिसे देववाणी भी कहा जाता है। यह भाषा विशेष रूप से धार्मिक ग्रंथों, वेदों, उपनिषदों और अन्य प्राचीन भारतीय साहित्य में प्रयोग की गई है।
संस्कृत स्कूलों में Student संस्कृत व्याकरण, साहित्य, दर्शन और धार्मिक शास्त्रों की गहन शिक्षा प्रदान की जाती है। इन स्कूलों का उद्देश्य संस्कृत भाषा को संरक्षित करना और इसके माध्यम से भारतीय संस्कृति और ज्ञान की परंपरा को आगे बढ़ाना है।
संस्कृत स्कूल अक्सर विद्वानों और Teacher को तैयार करते हैं जो भविष्य में संस्कृत भाषा के प्रचार और teaching में योगदान दे सकें।
मिशनरी स्कूल (missionary school)
मिशनरी स्कूल वे Educational Institute होते हैं जो आमतौर पर ईसाई मिशनरी संगठनों द्वारा स्थापित और संचालित किए जाते हैं। इन स्कूलों का मुख्य उद्देश्य शिक्षा के माध्यम से ईसाई धर्म के मूल्यों को प्रसारित करना और अंग्रेजी भाषा की शिक्षा को बढ़ावा देना होता है।
भारत में, मिशनरी स्कूलों की स्थापना 16वीं शताब्दी में हुई थी, और इनका उदय 17वीं शताब्दी में होना शुरू हुआ।
मिशनरी स्कूलों में शिक्षा का माध्यम आमतौर पर English होता है, और ये स्कूल अपने उच्च शैक्षिक मानकों और अनुशासन के लिए जाने जाते हैं। इन स्कूलों में एक चर्च भी होता है, और ईसाई छात्रों के लिए Bible teaching की व्यवस्था होती है।
हालांकि, इन स्कूलों में सभी धर्मों के बच्चे शिक्षा प्राप्त करते हैं, और धर्म परिवर्तन के लिए किसी भी प्रकार का दबाव नहीं बनाया जाता है।
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मिशनरी स्कूलों की विशेषताएं इस प्रकार हैं
- high educational standards और अंग्रेजी medium की शिक्षा।
- अनुशासन और सभ्यता की शिक्षा पर जोर।
- ईसाई धर्म के मूल्यों का प्रसार।
- सभी धर्मों के छात्रों के लिए खुले होना।
- छात्रों को समाज में उच्च स्थान प्राप्त करने के लिए तैयार करना।
इन स्कूलों में शिक्षा की qualityऔर अनुशासन के कारण, बहुत से अभिभावक अपने बच्चों को missionary schools में पढ़ाना पसंद करते हैं।
नवोदय विद्यालयों (Navodaya Schools)
नवोदय विद्यालयों में प्रवेश कक्षा 6 में ‘जवाहर नवोदय विद्यालय चयन परीक्षा’ (JNVST) के माध्यम से होता है, और इन विद्यालयों में कक्षा 8 तक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा होता है। गणित और विज्ञान के लिए अंग्रेजी और सामाजिक विज्ञान के लिए hindi medium होता है1।
छात्र केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल (CBSE) की कक्षा 10 और 12 की परीक्षा में सम्मिलित होते हैं।
नवोदय विद्यालय समिति इन विद्यालयों को सम्पूर्ण वित्तीय सहायता प्रदान करती है, और ये विद्यालय छात्रों को मुफ्त Boarding and Lodging, Free school uniform, text books, stationery,और यात्रा किराया प्रदान करते हैं।
हालांकि, कक्षा 9 से 12 के छात्रों से एक मामूली शुल्क विद्यालय विकास निधि के रूप में लिया जाता है, जिसमें छूट प्राप्त वर्ग के छात्रों और समस्त छात्राओं को छोड़कर।
नवोदय विद्यालयों का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना है, और इसके लिए ‘नवोदय विद्यालय प्रवास योजना’ के माध्यम से छात्रों का एक अंतर-क्षेत्रीय आदान-प्रदान किया जाता है, जिससे विविधता में एकता की बेहतर समझ को बढ़ावा मिलता है।
इन विद्यालयों की कुल संख्या 661 है, और ये 27 राज्यों और 8 संघ शासित राज्यों में संचालित होते हैं।
मिलिट्री स्कूल (military school)
मिलिट्री स्कूल, जिन्हें राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल भी कहा जाता है, भारत में रक्षा कर्मियों के बच्चों के लिए स्थापित शैक्षिक संस्थान हैं। इन स्कूलों का मुख्य उद्देश्य quality education प्रदान करना और छात्रों को रक्षा सेवाओं में शामिल होने के लिए तैयार करना है।
राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूलों की स्थापना 1925 में हुई थी, और ये भारत के सबसे पुराने स्कूलों में से एक हैं। इन स्कूलों में admission कक्षा 6, 9 और 11 में होता है, और entrance exam के माध्यम से छात्रों का चयन किया जाता है।
इन स्कूलों में शिक्षा का माध्यम आमतौर पर English होता है, और इनमें शिक्षा के साथ-साथ खेलकूद और अन्य सह-शैक्षिक गतिविधियों पर भी जोर दिया जाता है।
भारत में कुल पांच राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल हैं, जो राजस्थान के अजमेर और धोलपुर, कर्नाटक के बेलगाम और बैंग्लोर, हिमाचल प्रदेश के चैल में स्थित हैं।
इन स्कूलों में शिक्षा की फीस various categories के अनुसार निर्धारित होती है, और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों के लिए fees में छूट भी प्रदान की जाती है1।
इन स्कूलों का उद्देश्य न केवल शैक्षिक उत्कृष्टता प्रदान करना है, बल्कि छात्रों में नेतृत्व क्षमता, अनुशासन, चरित्र निर्माण, और देशभक्ति की भावना को भी विकसित करना है। इस प्रकार, ये स्कूल भारतीय सेना और अन्य रक्षा सेवाओं के लिए उच्च गुणवत्ता के cadets तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
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FAQ Of School (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न )
प्रश्न 1. School का पूरा नाम क्या है ?
School का पूरा नाम “Sincerity, Capacity, Honesty, Orderliness, Obedience, Learning” होता है ।
प्रश्न 2. भारत में कितने राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल हैं,
भारत में कुल पांच राष्ट्रीय मिलिट्री स्कूल हैं ।
Laxmi Shankar इस Blog के फाउंडर और लेखक है जो इस ब्लॉग पर Education, Technology, Financial , Internet और सामान्य फुल फॉर्म के बारे में लेख प्रकाशित करते है । अगर इन विषयों से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए तो आप जरुर पूछ सकते है ।
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