AIDS full Form In Hindi AIDS का नाम तो आपने सुना ही होगा यह एक ऐसा Virus है जिसका अभी तक कोई इलाज नही निकल पाया है । लेकिन इस बीमारी को लेकिन antiretroviral therapy (ART) के माध्यम से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है ।
आज आपको एड्स के बारे में विस्तृत जानकारी मिलेगी ऐसे एड्स का फुल फॉर्म , एड्स क्या है एड्स कैसे फैलता है ? कारण और नियंत्रण AIDS का इतिहास और HIV क्या है पूरी जानकारी के लिए आप अंत तक जरुर बनें रहे ।
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AIDS Full Form In Hindi
AIDS का फुल फॉर्म है “एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम” (Acquired Immune Deficiency Syndrome)। यह एक ऐसी स्थिति है जो HIV (Human Immunodeficiency Virus) के संक्रमण के बाद विकसित होती है, जिसमें व्यक्ति की Immunity System कमजोर हो जाती है।
एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम क्या है ?
एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम (AIDS) एक गंभीर चिकित्सा स्थिति है जो Human immunodeficiency virus (HIV) के कारण होती है। यह वायरस मानव प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, जिससे शरीर अन्य संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है।
एड्स HIV संक्रमण का अंतिम चरण है, जो तब होता है जब virus के कारण शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो जाती है और CD4 या T कोशिकाएं बहुत कम हो जाती हैं। इस स्थिति में, व्यक्ति विभिन्न प्रकार के जीवाणु , virus, परजीवी और cancer जैसी जटिलताओं के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हो जाता है।
एड्स की रोकथाम और लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को विश्व AIDS दिवस (World AIDS Day) मनाया जाता है।
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एड्स कैसे फैलता है ?
एड्स (AIDS) एक गंभीर बीमारी है जो एच.आई.वी. (HIV) नामक विषाणु के कारण होती है। यह विषाणु मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर कर देता है, खासकर CD4 T-lymphocytes नामक श्वेत रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है, जो शरीर को infections से बचाने का काम करती हैं। एच.आई.वी. infections के मुख्य कारण हैं:
- असुरक्षित यौन संबंध – एच.आई.वी. infected व्यक्ति के साथ यौन संपर्क से यह विषाणु फैल सकता है।
- संक्रमित रक्त का आदान-प्रदान– infected रक्त चढ़ाने या infected सुई का उपयोग करने से भी एच.आई.वी. फैल सकता है।
- माँ से शिशु में संक्रमण– गर्भावस्था, प्रसव के समय या स्तनपान के दौरान एच.आई.वी. infected माँ से उसके बच्चे में यह विषाणु जा सकता है।
एड्स के इलाज के लिए अभी तक कोई स्थायी उपचार नहीं है, लेकिन antiretroviral therapy (ART) के माध्यम से इसके लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है और संक्रमित व्यक्तियों की जीवन गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है। एड्स से बचाव के लिए सुरक्षित यौन संबंध, स्वच्छ सुई का उपयोग और नियमित रक्त परीक्षण महत्वपूर्ण हैं ।
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AIDS का इतिहास
AIDS (एड्स) का इतिहास बहुत ही गहरा और विस्तृत है। एड्स, जिसका पूरा नाम “उपार्जित प्रतिरक्षी अपूर्णता सहलक्षण” (acquired immunodeficiency syndrome) है, मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु या HIV संक्रमण के बाद की स्थिति है, जिसमें मानव अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षण क्षमता खो देता है ।
एड्स की पहचान पहली बार 1981 में हुई थी, जब los angeles के डॉक्टर माइकल गॉटलीब ने पांच मरीजों में एक अलग तरह का निमोनिया पाया था। इसके बाद, विश्व भर में इस बीमारी के प्रसार और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1988 में पहली बार विश्व एड्स दिवस मनाया गया ।
एड्स के संक्रमण के मुख्य कारण असुरक्षित यौन संबंध, रक्त के आदान-प्रदान और माँ से शिशु में संक्रमण हैं। इसके अलावा, यह माना जाता है कि HIV विषाणु सबसे पहले अफ्रीका के खास प्रजाति के बंदरों में पाया गया था और वहीं से यह पूरी दुनिया में फैला ।
एड्स और HIV में अंतर यह है कि HIV एक वायरस है जो एड्स का कारण बनता है, जबकि एड्स उस स्थिति का नाम है जब व्यक्ति की Immunity System बहुत कमजोर हो जाती है। आज भी दुनिया भर में एड्स के इलाज और इसके विरुद्ध टीके के विकास पर शोध जारी है।
पुरुष में HIV टेस्ट कौन-सी है?
पुरुषों में HIV की पुष्टि के लिए आमतौर पर निम्नलिखित Test किए जाते हैं
एंटीबॉडी टेस्ट
यह टेस्ट खून या मुंह के तरल पदार्थ की जांच करके HIV की एंटीबॉडीज का पता लगाता है।
एंटीजन टेस्ट
यह खून में HIV की मौजूदगी का पता लगाने के लिए किया जाता है।
न्यूक्लिक एसिड टेस्ट (NAT)
यह टेस्ट खून में HIV के जेनेटिक मटेरियल की जांच करता है।
यदि आपको HIV के लक्षण दिखाई देते हैं या आपको Infection का खतरा हो सकता है, तो आपको तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए और उपयुक्त परीक्षण करवाने चाहिए।
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एच.आई.वी क्या है?
एच.आई.वी, जिसे ह्यूमन इम्यूनोडिफिशिएंसी वायरस (Human Immunodeficiency Virus) कहा जाता है, एक प्रकार का वायरस है जो मनुष्य की Immunity system को कमजोर करता है।
यह वायरस शरीर की रोग-Immunity system पर हमला करता है और संक्रमणों के प्रति उसकी प्रतिरोध क्षमता को धीरे-धीरे कम करता जाता है।
इसके परिणामस्वरूप, शरीर विभिन्न प्रकार के अवसरवादी infections और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है, जो अन्यथा स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा आसानी से नियंत्रित किए जा सकते हैं।
एच.आई.वी के संचरण के मुख्य मार्ग हैं
- असुरक्षित यौन संबंध
- संक्रमित सुई
- मां का दूध
किसी संक्रमित मां से उसके बच्चे को जन्म के समय होने वाला संचरण (ऊर्ध्व संचरण)
एच.आई.वी की उपस्थिति का पता लगाने के लिए blood products की जांच की जाती है, और विकसित देशों में रक्ताधान या संक्रमित रक्त-उत्पादों के माध्यम से होने वाला संचरण बड़े पैमाने पर कम हो गया है।
एच.आई.वी के उपचार के लिए उच्च सक्रिय एंटीरिट्रोवियल चिकित्सा (HAART) उपलब्ध है, जो virus की reproduction को रोकती है और संक्रमित व्यक्तियों को लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जीने में मदद करती है।
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AIDS से प्राकृतिक रूप से बचना मुमकिन होता है?
हां, AIDS से प्राकृतिक रूप से बचाव संभव है। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय दिए गए हैं-
- सुरक्षित यौन संबंध– यौन संबंधों में सुरक्षा का उपयोग करना और एक स्थिर और विश्वसनीय साथी के साथ रहना।
- स्वच्छ सुई का उपयोग– इंजेक्शन लेने के लिए हमेशा नई और sterilized needle का उपयोग करना।
- रक्त उत्पादों की जाँच– रक्त चढ़ाने से पहले उसकी HIV के लिए जाँच करना।
- माँ से शिशु में संक्रमण की रोकथाम– गर्भवती महिलाओं को HIV परीक्षण और उचित उपचार प्राप्त करना चाहिए।
- स्वास्थ्य जाँच– नियमित रूप से HIV परीक्षण करवाना और स्वास्थ्य जाँच रखना।
इन उपायों के अलावा, स्वस्थ जीवनशैली और पोषण युक्त आहार भी शरीर की Immunity system को मजबूत बनाने में मदद करते हैं।
एड्स के नुकसान क्या है?
एड्स के कई गंभीर नुकसान हैं, जिसमें शरीर की Immunity system का क्षय होना मुख्य है। इसके कारण व्यक्ति विभिन्न प्रकार के infections और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है। एचआईवी वायरस CD4+ T sales को नष्ट कर देता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा में महत्वपूर्ण होती हैं।
इससे व्यक्ति को अवसरवादी Infection हो सकते हैं जैसे कि TB, सर्दी, खांसी और यहां तक कि कुछ प्रकार के कैंसर भी। एड्स के इलाज में देरी होने पर ये Infection जानलेवा भी हो सकते हैं।
एड्स के नुकसान
Immunity system का क्षय
एचआईवी वायरस CD 4+ टी सेल्स को नष्ट कर देता है, जिससे शरीर की Immunity system कमजोर हो जाती है।
opportunistic infections
कमजोर Immunity system के कारण, व्यक्ति विभिन्न प्रकार के संक्रमणों और बीमारियों के प्रति अधिक संवेदनशील होता है।
जीवन की गुणवत्ता में कमी
एड्स से पीड़ित व्यक्ति की दैनिक जीवन शैली और कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
सामाजिक और मानसिक प्रभाव
एड्स के कारण सामाजिक कलंक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
एड्स के इलाज के लिए antiretroviral therapy (ART) का उपयोग किया जाता है, जो वायरस के प्रसार को धीमा कर देता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करता है। इस therapy के उपयोग से एचआईवी infected व्यक्ति लंबे समय तक स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
एड्स कितने दिनों में होता है?
एचआईवी Infection से एड्स होने की प्रक्रिया व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली, उसके स्वास्थ्य की स्थिति और उपचार पर निर्भर करती है। आमतौर पर, एचआईवी infected व्यक्ति में एड्स के लक्षण 8 से 10 वर्षों में विकसित हो सकते हैं।
हालांकि, यह समय अवधि व्यक्ति के इलाज और जीवनशैली के अनुसार भिन्न हो सकती है। HIV का जल्दी पता चलने पर और उचित उपचार से इस समय अवधि को बढ़ाया जा सकता है और जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
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एड्स के लक्षण क्या होते हैं?
एचआईवी Infection के प्रारंभिक चरण में आमतौर पर फ्लू जैसे symptoms दिखाई देते हैं, जो Infection के 2 से 4 सप्ताह के भीतर शुरू हो सकते हैं। इनमें शामिल हो सकते हैं:
- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द और जोड़ों में दर्द
- स्किन पर रैशेज
- गले में खराश और मुंह में छाले
- दस्त
- वजन घटना
- खांसी
- रात में पसीना
ये लक्षण अन्य सामान्य बीमारियों के समान हो सकते हैं, इसलिए यदि आपको HIV होने का संदेह है तो तुरंत clinical trials करवाना महत्वपूर्ण है।
एड्स की अधिक गंभीर अवस्था में निम्नलिखित symptoms देखे जा सकते हैं-
- तेज़ी से अत्याधिक वजन घटना
- सूखी खांसी
- लगातार ज्वर या रात के समय अत्यधिक/असाधारण मात्रा में पसीने छूटना
- जंघाना, कक्षे और गर्दन में लम्बे समय तक सूजी हुई लसिकायें
- एक हफ्ते से अधिक समय तक दस्त होना
- चमड़ी के नीचे, मुँह, पलकों के नीचे या नाक में लाल, भूरे, गुलाबी या बैंगनी रंग के धब्बे
- निरंतर भुलक्कड़पन
यदि आपको इनमें से कोई भी symptoms अनुभव हो रहे हैं, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। एड्स के symptoms की पहचान और उपचार में देरी से बचने के लिए जल्द से जल्द परीक्षण करवाना महत्वपूर्ण है।
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एड्स पाने वाला पहला व्यक्ति कौन था ?
एड्स के शुरुआती मामलों की पहचान और दस्तावेजीकरण में कई वर्षों का समय लगा। वैज्ञानिक समुदाय ने 1980 के दशक में AIDS के मामलों की पहचान शुरू की थी, और इस बीमारी के बारे में पहली बार न्यूयॉर्क में 1981 में जानकारी मिली थी।
भारत में, एड्स के पहले मरीज़ की पहचान 1986 में हुई थी, जब चेन्नई की सेक्स वर्कर महिलाओं की बस्तियों से करीब 200 ब्लड सैंपल इकट्ठे किए गए थे।
विश्व स्तर पर, “बर्लिन पेशेंट” के नाम से प्रसिद्ध टिमोथी रे ब्राउन को एचआईवी Infection को हराने वाला पहला व्यक्ति माना जाता है। उन्होंने HIV Infection को हराने के बाद दुनिया के लिए एक उदाहरण बनाया था।
हालांकि, यह ध्यान देना महत्वपूर्ण है कि एड्स के इतिहास में कई अन्य व्यक्तियों की भी भूमिका रही है, और इस बीमारी के शुरुआती मामलों की पहचान करने में कई चुनौतियाँ थीं। इसलिए, एड्स पाने वाले “पहले व्यक्ति” की पहचान करना संभव नहीं है।
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एड्स की रोकथाम के 3 उपाय
एड्स की रोकथाम के लिए निम्नलिखित तीन महत्वपूर्ण उपाय हैं:
सुरक्षित यौन संबंध
सुरक्षित यौन संबंध बनाने से HIV संचरण के जोखिम को कम किया जा सकता है। इसमें कंडोम का उपयोग करना शामिल है।
प्री-एक्सपोज़र प्रोफिलैक्सिस (PrEP)
PrEP में एचआईवी के संभावित जोखिम से पहले antiretroviral दवाएं लेना शामिल है, जो वायरस से infected होने के उच्च जोखिम वाले व्यक्तियों के लिए अनुशंसित है।
Infected रक्त और सुईयों के प्रयोग से बचाव
infected रक्त या सुईयों के प्रयोग से बचने से HIV के प्रसार को रोका जा सकता है। यह सुनिश्चित करना कि रक्त दान करने या प्राप्त करने से पहले उसकी जांच हो चुकी है, और सुईयों का सही तरीके से निपटान किया जाना चाहिए ।
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FAQ Of AIDS (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न )
प्रश्न 1. AIDS का पूरा नाम क्या है ?
AIDS का फुल फॉर्म है “एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिंड्रोम” (Acquired Immune Deficiency Syndrome) होता है ।
प्रश्न २. एड्स की खोज कब और किसने की?
एड्स की खोज 1983 में फ्रांस के वैज्ञानिकों लुक मोंटैग्नियर और फ्रेंकोइस बार सिनॉसी ने की थी।
उन्होंने एड्स से ग्रसित रोगी के सूजी हुई लिंफ ग्रंथियों से HIV वायरस की खोज की, जिसे पहले LV वायरस कहा गया था।
बाद में, अमेरिका के रॉबर्ट गैलो ने भी इस वायरस की पहचान की और 1985 में इसे HIV के रूप में जाना गया।
प्रश्न ३. एड्स की खोज कब हुई थी?
एड्स की खोज 1980 के दशक की शुरुआत में हुई थी। विशेष रूप से, फ्रांस के वैज्ञानिक लुक मोंटैग्नियर और फ्रेंकोइस बार सिनॉसी ने 1983 में एचआईवी वायरस की खोज की थी, जो एड्स बीमारी का कारण है।
इसके बाद, अमेरिका के रॉबर्ट गैलो ने 1984 में HTLV-III वायरस की खोज की, जिसे बाद में HIV के रूप में जाना गया। भारत में एड्स का पहला मामला 1986 में सामने आया था।
प्रश्न ४. एड्स भारत में कब आया था?
भारत में एड्स का पहला मामला 1986 में सामने आया था। यह खोज डॉ. सुनीति सोलोमन और उनकी छात्रा डॉक्टर सेल्लप्पन निर्मला द्वारा की गई थी, जब उन्होंने चेन्नई की sex worker महिलाओं के blood sample की जांच की और उनमें से कुछ में hiv positive पाया गया।
इस खोज ने भारत में एड्स के प्रति जागरूकता और उपचार के प्रयासों को एक नई दिशा प्रदान की।
Rani इस ब्लॉग की लेखिका है जो आपके लिए रोजाना Organization , Science , And इलेक्ट्रिसिटी से सम्बंधित नए – नए लेख प्रकाशित करती है ।