ABS एक ऐसी तकनीक है जो आपकी कार या बाइक को अचानक ब्रेक लगाने पर फिसलने से बचाती है। जब आप तेजी से ब्रेक लगाते हैं, तो आमतौर पर पहिये जाम हो जाते हैं ।
और वाहन फिसल सकता है, जिससे दुर्घटना हो सकती है। लेकिन ABS की मदद से, पहिये जाम नहीं होते और वाहन फिसलने के बजाय नियंत्रण में रहता है।
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आज इस पोस्ट में एबीएस का फुल फॉर्म क्या होता है ? एबीएस का क्या काम है , कैसे काम करता है इसके बारे में पूरी जानकारी मिलेगी जिसके लिए आप अंत तक जरुर बनें रहे
ABS Full Form in Hindi
ABS की फुल फॉर्म है “एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम”। यह एक वाहन सुरक्षा प्रणाली है जो गाड़ी के ब्रेक प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
ABS का काम क्या है?
ABS, यानी एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, का मुख्य काम वाहनों के पहियों को break लगाने के दौरान Lock होने से रोकना है। यह सिस्टम वाहन के break पर दबाव को नियंत्रित करता है और पहियों को Lock होने से बचाकर skidding से रोकता है। इससे वाहन अधिक सुरक्षित रूप से और कम दूरी में रुक सकता है, और Driver का वाहन पर नियंत्रण भी बना रहता है।
उदाहरण के लिए, यदि आप तेज गति से वाहन चला रहे हैं और अचानक आपको break लगाने की आवश्यकता पड़ती है, तो ABS सक्रिय हो जाता है। ABS system break लगाने के दबाव को नियंत्रित करते हुए पहियों को lock होने से रोकता है, जिससे वाहन सुरक्षित रूप से और जल्दी रुक जाता है, और इस तरह से accidents की संभावना कम हो जाती है।
ABS कैसे काम करता है?
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, एक ऐसा System है जो वाहन के पहियों को अचानक ब्रेक लगाने पर लॉक होने से रोकता है। इसके काम करने का Process निम्नलिखित है-
- स्पीड सेंसर- ये सेंसर प्रत्येक पहिये की गति को मॉनिटर करते हैं।
- हाइड्रोलिक कंट्रोल यूनिट (HCU)- यह ब्रेक fluid के दबाव को नियंत्रित करती है।
- इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट (ECU)- यह सेंसर से मिलने वाले डेटा का विश्लेषण करती है और HCU को निर्देश देती है।
जब ड्राइवर ब्रेक लगाता है, तो ब्रेक पेडल दबने से ब्रेक fluid ब्रेक पैड्स को पहियों से सटाने के लिए दबाव डालता है। अगर पहियों की गति तेजी से कम होने लगती है, तो speed sensor इस स्थिति को ECU को बता देते हैं। ECU तुरंत HCU को ब्रेक fluid के दबाव को कम करने का निर्देश देता है।
इससे ब्रेक पैड्स का पहियों पर लगने वाला घर्षण कम हो जाता है, जिससे पहिए पूरी तरह से Lock नहीं होते और घूमते रहते हैं। पहियों के घूमते रहने से वाहन का जमीन के साथ घर्षण बना रहता है और वाहन रुकने लगता है। ECU लगातार पहियों की गति की निगरानी करती रहती है और अगर दोबारा पहिए Lock होने का खतरा होता है, तो यह प्रक्रिया को दोहराती है।
इस प्रक्रिया के द्वारा, ABS वाहन को फिसलने से बचाता है और ड्राइवर को वाहन पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है। यह विशेष रूप से फिसलन भरी सड़कों या अचानक ब्रेक लगाने की स्थिति में अधिक मददगार होता है।
ABS की इतिहास
इसकी शुरुआत 1929 में हुई थी, जब इस तकनीक का इस्तेमाल पहली बार विमानों में किया गया था। इसके बाद, 1966 में इसे पहली बार एक कार में इस्तेमाल किया गया और जनता के सामने लाया गया । जेन्सेन फर्ग्यूसन फॉर्मूला में यात्रियों ने इसका पहली बार अनुभव किया।
धीरे-धीरे इस तकनीक को विकसित किया गया और 1980 तक यह लोगों के सामने आने लगी। आज हर नई कार में यह तकनीक मौजूद है और अब यह Bikes में भी उपलब्ध है, जिसके लिए अतिरिक्त शुल्क देना पड़ता है।
ABS का विकास वाहन सुरक्षा में एक महत्वपूर्ण कदम था और इसने दुर्घटनाओं को कम करने में बड़ी भूमिका निभाई है। इसके आविष्कार और विकास ने वाहन चालकों को अधिक सुरक्षित और नियंत्रित driving अनुभव प्रदान किया है।
EABS क्या है ?
EABS का पूरा नाम Electronic Anti-lock Braking System है, जो ABS यानी Anti-lock Braking System का एक उन्नत रूप है। EABS एक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम है जो वाहन के ब्रेकिंग सिस्टम को और भी अधिक सटीकता और नियंत्रण के साथ संचालित करता है।
यह वाहन के पहियों की गति को control करने के लिए सेंसर और Electronic नियंत्रण इकाइयों का उपयोग करता है, जिससे ब्रेक लगाने के दौरान पहियों के Lock होने और वाहन के फिसलने की संभावना को कम किया जा सकता है।
EABS आमतौर पर उन वाहनों में पाया जाता है जो electronic control systems पर अधिक निर्भर करते हैं और यह ड्राइवर को बेहतर ब्रेकिंग प्रतिक्रिया और वाहन control प्रदान करता है। इसके अलावा, EABS वाहन की ब्रेकिंग क्षमता को बढ़ाता है और emergency situations में वाहन को अधिक सुरक्षित रूप से रोकने में मदद करता है ।
Cornering ABS क्या है ?
Cornering ABS एक उन्नत प्रकार का (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) है जो मोटरसाइकिलों के लिए विशेष रूप से design किया गया है। यह सिस्टम विशेष रूप से उन स्थितियों के लिए बनाया गया है जब मोटरसाइकिल कोनों में घूम रही होती है।
सामान्य ABS सिस्टम की तरह, Cornering ABS भी पहियों को लॉक होने से रोकता है, लेकिन यह तब भी काम करता है जब मोटरसाइकिल झुकी हुई होती है और कोनों में घूम रही होती है ।
सामान्य ABS सिस्टम सिर्फ तब काम करते हैं जब मोटरसाइकिल सीधी होती है, लेकिन Cornering ABS में अतिरिक्त सेंसर होते हैं जो मोटरसाइकिल के झुकाव के कोण को मापते हैं और ब्रेकिंग शक्ति को इस प्रकार से समायोजित करते हैं कि ट्रैक्शन बना रहे और वाहन फिसलने से बचे।
इस प्रकार, Cornering ABS मोटरसाइकिल चालकों को अधिक safe braking प्रदान करता है, खासकर कोनों में घूमते समय, जहां सामान्य ABS सिस्टम की तुलना में accidents की संभावना अधिक होती है। यह तकनीक विशेष रूप से उन मोटरसाइकिलों में उपयोगी होती है जिन्हें तेज गति और जटिल रास्तों पर चलाया जाता है।
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ब्रेक सिस्टम में ABS का महत्व
ब्रेक सिस्टम में ABS (एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम) का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि यह वाहन की सुरक्षा और ड्राइवर के नियंत्रण को बढ़ाता है। ABS के कुछ महत्वपूर्ण फायदे निम्नलिखित हैं-
सुरक्षित ब्रेकिंग –
ABS वाहन के पहियों को ब्रेक लगाने के दौरान लॉक होने से रोकता है, जिससे वाहन फिसलने से बचता है और ड्राइवर वाहन पर नियंत्रण बनाए रख सकता है ।
दुर्घटना निवारण –
फिसलन भरी सड़कों या अचानक ब्रेक लगाने की स्थिति में, ABS वाहन को स्थिर रखता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना कम होती है ।
बेहतर वाहन नियंत्रण –
ABS की मदद से ड्राइवर को वाहन पर बेहतर नियंत्रण मिलता है, खासकर तेज गति में या आपातकालीन स्थितियों में मदद करता है ।
अनिवार्यता –
भारत में, नई गाड़ियों में ABS लगाना अनिवार्य है, जो वाहन सुरक्षा मानकों को बढ़ाता है ।
ABS का उपयोग न केवल वाहन चालकों के लिए बल्कि सड़क पर अन्य यात्रियों के लिए भी सुरक्षा को सुनिश्चित करता है। इसके अलावा, यह तकनीक वाहन के braking performance को बेहतर बनाती है और वाहन के रखरखाव में भी मदद करती है।
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ABS सेंसर फेल क्यों होते हैं?
ABS सेंसर कई कारणों से फेल हो सकते हैं, जिनमें शामिल हैं:
- गंदगी और मलबा- सड़कों पर मौजूद गंदगी, धूल, और मलबा सेंसर के घटकों को दूषित कर सकते हैं, जिससे सेंसर की कार्यक्षमता प्रभावित होती है।
- जल और नमी- जल और नमी सेंसर केelectronic components को क्षतिग्रस्त कर सकते हैं, खासकर अगर सेंसर की सील टूट गई हो।
- वायरिंग समस्याएं- वायरिंग में खराबी या क्षति सेंसर Signal को बाधित कर सकती है।
- चुंबकीय फील्ड में बदलाव- ABS सेंसर अक्सर चुंबकीय फील्ड का उपयोग करते हैं, और इसमें कोई भी बदलाव सेंसर की सटीकता को प्रभावित कर सकता है।
- मैकेनिकल क्षति- accidents या अन्य मैकेनिकल प्रभावों से सेंसर को नुकसान पहुंच सकता है।
- उम्र और पहनने का असर- समय के साथ सेंसर के घटक पहन सकते हैं और उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है।
यदि ABS सेंसर में कोई समस्या होती है, तो वाहन के डैशबोर्ड पर ABS चेतावनी लाइट जल सकती है, जो ड्राइवर को समस्या के बारे में सूचित करती है। इस स्थिति में, वाहन को एक पेशेवर मैकेनिक को दिखाना चाहिए जो सेंसर की जांच कर सके और आवश्यक होने पर इसे बदल सके ।
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ABS स्पीड सेंसर क्या करता है?
ABS स्पीड सेंसर का मुख्य काम वाहन के पहियों की गति को मापना है। यह सेंसर वाहन के प्रत्येक पहिए पर लगा होता है और यह निरंतर पहियों की गति की जानकारी electronic control unit (ECU) को भेजता है।
जब वाहन चालक ब्रेक लगाता है, तो ECU इस जानकारी का उपयोग करके यह तय करता है कि किस पहिए पर कितना दबाव लगाना है और कितना दबाव रिलीज करना है, ताकि पहिए लॉक न हों और वाहन सुरक्षित रूप से रुक सके ।
speed sensor की मदद से ABS सिस्टम ब्रेकिंग के दौरान पहियों को लॉक होने से रोकता है, जिससे वाहन फिसलने से बचता है और चालक वाहन पर नियंत्रण बनाए रख सकता है। इस प्रक्रिया को ‘Pulsing’ कहा जाता है, जिसमें ब्रेक दबाव को बार-बार बढ़ाया और घटाया जाता है, ताकि पहिए घूमते रहें और वाहन अधिक सुरक्षित तरीके से रुक सके।
ABS के अन्य प्रकार
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम, के विभिन्न प्रकार होते हैं, जो वाहन के प्रकार और उसकी जरूरतों के अनुसार डिज़ाइन किए जाते हैं।
- Four Channel, Four Sensor ABS- यह प्रत्येक पहिए के लिए एक अलग चैनल और सेंसर प्रदान करता है, जिससे सबसे अच्छा नियंत्रण मिलता है ।
- Three Channel, Three Sensor ABS- इसमें आमतौर पर पीछे के पहियों के लिए एक चैनल और अगले पहियों के लिए दो चैनल होते हैं।
- Two Channel, Two Sensor ABS- यह 2 चैनल प्रदान करता है, जो आमतौर पर पीछे के पहियों के लिए होते हैं।
- One Channel, One Sensor ABS- यह सबसे सरल प्रकार है और आमतौर पर केवल पीछे के पहियों पर लगाया जाता है।
ये प्रकार वाहन के design और उसकी ब्रेकिंग जरूरतों के अनुसार चुने जाते हैं। उच्च अंत वाले वाहनों में आमतौर पर 4 चैनल वाले ABS सिस्टम होते हैं, जबकि बजट वाहनों में सरल और कम चैनल वाले सिस्टम हो सकते हैं।
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CBS, EBD और ABS में अंतर क्या है ?
Combined Braking System (CBS) और Anti-lock Braking System (ABS) दोनों ही ब्रेकिंग सिस्टम हैं जो वाहनों, खासकर मोटरसाइकिलों में सुरक्षा बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। इन दोनों सिस्टमों के बीच मुख्य अंतर निम्नलिखित हैं-
Combined Braking System (CBS)
- CBS- इस सिस्टम में, जब ड्राइवर एक ब्रेक लीवर दबाता है, तो यह सिस्टम दोनों पहियों पर ब्रेकिंग बल को स्वतः distributed करता है। इससे वाहन संतुलित रूप से और सही समय पर रुकता है ।
- CBS- इसका मुख्य उद्देश्य ब्रेकिंग के दौरान वाहन के संतुलन को बनाए रखना है ।
भारत में, 125 सीसी से कम इंजन क्षमता वाली सभी बाइक में CBS और 150 सीसी या उससे ऊपर की बाइक में ABS लगाना अनिवार्य है । इन दोनों सिस्टमों का मुख्य लक्ष्य वाहन चालकों को अधिक सुरक्षित ब्रेकिंग प्रदान करना और accidents की संभावना को कम करना है।
एब्स (Anti-Lock Braking System)
- एब्स वाहन के पहियों को अचानक ब्रेक लगाने पर पूरी तरह से जाम होने से बचाता है।
- यह वाहन फिसलने से बचता है और ड्राइवर वाहन पर नियंत्रण बनाए रख सकता है।
- दुर्घटना का खतरा कम हो जाता है।
- भारत में अब सभी नई गाड़ियों में ABS लगाना अनिवार्य है
ईबीएस (Electronic Brake force Distribution)
- यह वाहन के ब्रेक में से प्रत्येक पर लागू बल की मात्रा को बदलता है।
- वाहन की रफ्तार, भार और रोड की कंडीशन के हिसाब से यह अलग-अलग पहिये को अलग अलग ब्रेक फोर्स देता है।
- इससे ब्रेक करने पर वाहन को बेहतर Contorl मिलता है।
- दुर्घटना का खतरा कम होता है।
- इसके साथ आने वाली बाइक्स में इंजन पर किसी तरह का फर्क नहीं आता।
- एब्स के साथ आने वाले वाहनों के मुकाबले बिना एब्स के साथ आने वाले वाहनों से 35% ज्यादा हादसे होते हैं।
- इस फीचर के साथ आने वाली बाइक्स में इंजन पर किसी तरह का फर्क नहीं आता।
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FAQ OF ABS
प्रश्न 1. एबीएस का फुल फॉर्म क्या है ?
ABS की फुल फॉर्म है “anti-lock braking system”। यह एक वाहन सुरक्षा System है जो गाड़ी के ब्रेक प्रभाव को नियंत्रित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
प्रश्न 2. ABS कितनी बार ब्रेक लगाता है?
एंटी-लॉक ब्रेकिंग सिस्टम (ABS) ब्रेक लगाने की प्रक्रिया में बहुत तेजी से काम करता है। जब ड्राइवर अचानक ब्रेक लगाता है, तो ABS सिस्टम पहियों की गति को मॉनिटर करता है और यदि कोई पहिया लॉक होने लगता है, तो यह ब्रेक फोर्स को बार-बार एडजस्ट करता है।
Laxmi Shankar इस Blog के फाउंडर और लेखक है जो इस ब्लॉग पर Education, Technology, Financial , Internet और सामान्य फुल फॉर्म के बारे में लेख प्रकाशित करते है । अगर इन विषयों से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए तो आप जरुर पूछ सकते है ।