PVTG full form in Hindi- PVTGs विशेष पिछडी जनजातीय समूह क्या है ?

PVTG Full Form in Hindi “विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह” (PVTG) भारत के सबसे असुरक्षित और हाशिए पर रहने वाले जनजातीय समुदायों को संदर्भित करता है। भारत सरकार ने 75 ऐसे समूहों की पहचान की है, जो 18 राज्यों और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पाए जाते हैं।

PVTG की पहचान निम्नलिखित मानदंडों के आधार पर की जाती है प्रौद्योगिकी का पूर्व-कृषि स्तर, साक्षरता का निम्न स्तर, आर्थिक पिछड़ापन, और घटती या स्थिर जनसंख्या PVTG समुदायों के लिए सरकार ने विशेष योजनाएं और कार्यक्रम चलाए हैं, जैसे प्रधानमंत्री पीवीटीजी विकास मिशन, जिसका उद्देश्य इन समूहों की समग्र सामाजिक-आर्थिक स्थितियों में सुधार करना है ।

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इस मिशन के तहत, सुरक्षित आवास, स्वच्छ पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य और पोषण, सड़क और दूरसंचार संपर्कता, और संधारणीय आजीविका के अवसर प्रदान किए जाते हैं ।

PVTG Full Form In Hindi

PVTG का पूरा नाम विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups) है. यह उन जनजातीय समूहों को प्रेजेंट करता है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से सबसे कमजोर माने जाते हैं ।

PVTG श्रेणी क्या है?

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) भारत सरकार द्वारा वर्गीकृत एक समूह है, जिसका उद्देश्य सबसे कमजोर जनजातीय समुदायों की पहचान और उनकी सुरक्षा करना है। PVTG श्रेणी में वे जनजातीय समूह शामिल होते हैं जो अत्यधिक पिछड़े होते हैं और जिनकी जनसंख्या बहुत कम होती है।

PVTGs Full Form In HIndi
PVTGs Full Form In HIndi
  • आर्थिक पिछड़ापन – इन समूहों की आर्थिक स्थिति बहुत कमजोर होती है।
  • शिक्षा का अभाव – इन समूहों में शिक्षा का स्तर बहुत कम होता है।
  • स्वास्थ्य सेवाओं की कमी – इन समूहों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पातीं।
  • भौगोलिक अलगाव – ये समूह अक्सर दूरस्थ और दुर्गम क्षेत्रों में निवास करते हैं।
  • सांस्कृतिक विशिष्टता – इन समूहों की अपनी विशिष्ट संस्कृति और परंपराएं होती हैं ।

PVTG श्रेणी में आने वाले समूहों को सरकार द्वारा विशेष योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से सहायता प्रदान की जाती है, ताकि उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सके।

भारत में कौन हाशिए पर है?

भारत में हाशिए पर रहने वाले समूहों में कई प्रकार के समुदाय शामिल हैं, जो सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से बहिष्कृत हैं। इनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित समूह शामिल हैं¹²:

  1. आदिवासी समुदाय- ये समुदाय अक्सर दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों में रहते हैं और विकास की मुख्यधारा से कटे हुए हैं।
  2. दलित- सामाजिक भेदभाव और आर्थिक पिछड़ेपन के कारण ये समुदाय हाशिए पर हैं।
  3. महिलाएं और बालिकाएं- विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाओं और बालिकाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के अवसरों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
  4. प्रवासी श्रमिक- ये लोग अपने मूल स्थान से दूर काम करने जाते हैं और अक्सर असुरक्षित और अस्थायी रोजगार में लगे होते हैं।
  5. LGBTQIA+ समुदाय- इस समुदाय को सामाजिक और कानूनी भेदभाव का सामना करना पड़ता है।
  6. वृद्धजन- वृद्ध लोग, विशेष रूप से जो आर्थिक रूप से निर्भर हैं, अक्सर हाशिए पर होते हैं।
  7. विकलांग व्यक्ति – शारीरिक या मानसिक विकलांगता के कारण ये लोग सामाजिक और आर्थिक गतिविधियों में पूरी तरह से भाग नहीं ले पाते।

PVTGs समूह की शुरुआत

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTGs) का इतिहास भारत में आदिवासी समुदायों की विशिष्ट पहचान और उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति से जुड़ा हुआ है। PVTGs की पहचान 1973 में की गई थी, जब सरकार ने आदिवासी समुदायों के बीच सबसे कमजोर और पिछड़े समूहों को चिन्हित करने का निर्णय लिया।

इन समूहों को विशेष संरक्षण और सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से PVTGs की श्रेणी बनाई गई।

PVTG समूहों के प्रमुख परिचय

भारत में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) हैं, जो विभिन्न राज्यों में फैले हुए हैं। यहाँ कुछ प्रमुख PVTG समूहों का परिचय दिया गया है

सेंटिनलीज़ (अंडमान और निकोबार द्वीप समूह)

  •  ये समूह अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग-थलग हैं।
  •  इनकी भाषा और संस्कृति बहुत ही अनोखी है।

जुआंग (ओडिशा)

  •   जुआंग जनजाति ओडिशा के जंगलों में रहती है।
  •   ये लोग कृषि और जंगल उत्पादों पर निर्भर रहते हैं।

बिरहोर (झारखंड)

  • बिरहोर जनजाति झारखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में रहती है।
  •  ये लोग पारंपरिक रूप से शिकार और जंगल उत्पादों पर निर्भर रहते हैं।

साहारिया (मध्य प्रदेश और राजस्थान)

  •  साहारिया जनजाति मध्य प्रदेश और राजस्थान के जंगलों में रहती है।
  •  ये लोग कृषि और मजदूरी पर निर्भर रहते हैं।

कोरवा (छत्तीसगढ़ और झारखंड)

  •  कोरवा जनजाति छत्तीसगढ़ और झारखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में रहती है।
  •  ये लोग कृषि और जंगल उत्पादों पर निर्भर रहते हैं।

इन समूहों की अपनी अनूठी संस्कृति, भाषा और परंपराएँ हैं। सरकार इन समूहों के संरक्षण और विकास के लिए विशेष योजनाएँ चलाती है।

भारत में PVTG समूहों की संख्या

भारत में वर्तमान में 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) हैं. ये समूह 18 राज्यों और एक केंद्र शासित Staten में फैले हुए हैं. उड़ीसा State में सबसे अधिक PVTG Groups हैं, जिनकी संख्या 2.5 लाख से अधिक है।

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह

  • ग्रेट अंडमानी
  • जरावा
  • ओंगेस
  • शोम्पेन
  • नॉर्थ सेंटिनलीज़

झारखंड

  • असुर
  • बिरहोर
  • बिरजिया
  • हिल खारिया
  • कोरवा
  • माल पहाड़िया
  • परहैया
  • सौरिया पहाड़िया

केरल

  • कोरगा (Koraga)
  • चोलानाइकन (Cholanaikayan)
  • कुरुम्बा (Kurumbar)
  • कादर (Kadar)
  • कत्तुनायकन (Kattunaykan)

तमिलनाडु

पश्चिम बंगाल

  • लोधा (Lodha)
  • बिरहोर (Birhor)
  • टोतो (Toto)

आंध्र प्रदेश

  • चेंचू (Chenchu)
  • बोडो गदबा (Bodo Gadaba)
  • गुटोब गदबा (Gutob Gadaba)
  • कोंडा रेड्डी (Konda Reddi)
  • कोलम (Kolam)
  • सवारा (Savara)
  • परेंगी पोरजा (Parengi Porja)

ओडिशा

  • बिरहोर (Birhor)
  • बोंडा (Bonda)
  • चुक्तिया भुंजिया (Chuktia Bhunjia)
  • डोंगरिया कंधा (Dongaria Kandha)
  • डिडाई (Didayi)
  • हिल खारिया (Hill Kharia)
  • जुआंग (Juang)
  • कुटिया कंधा (Kutia Kondh)
  • लोधा (Lodha)
  • लांजिया साओरा (Lanjia Saora)
  • मांकीडिया (Mankirdia)
  • पौड़ी भुइयां (Paudi Bhuyan)
  • साओरा (Saora)

गुजरात 

  • कोलघा (Kolgha)
  • कथोडी (Kathodi)
  • कोटवालिया (Kotwalia)
  • पाधर (Padhar)
  • सिद्दी (Siddi)

मणिपुर

  • अंड्रो
  • माराम नागा

मध्यप्रदेश

  • बैगा (Baiga)
  • भरिया (Bharia)
  • सहारिया (Sahariya)
  • भिलाला

PVTG समूहों के प्रमुख प्रसिद्धता

भारत में कई विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) हैं जो अपनी Unique culture और Traditions के लिए प्रसिद्ध हैं। इनमें से कुछ प्रमुख समूह हैं:

  • जारवा – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले ये लोग अपनी अलग-थलग जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं।
  • ओंगे – ये भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं और अपनी पारंपरिक शिकार और संग्रहण जीवन शैली के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • सेंटिनलीज़ -ये समूह भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहता है और बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग-थलग है।
  • बिरहोर – झारखंड में रहने वाले ये लोग अपनी पारंपरिक शिकार और संग्रहण जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं।
  • साहरिया – मध्य प्रदेश और राजस्थान में रहने वाले ये लोग कृषि और मजदूरी पर निर्भर हैं और इनकी जनसंख्या सबसे अधिक है ।

ये समूह अपनी अनूठी सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के लिए जाने जाते हैं और इनकी सुरक्षा और विकास के लिए विशेष योजनाएं बनाई गई हैं ।

क्या इनके लिए कोई विशेष योजनाएं है?

भारत सरकार ने विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं और कार्यक्रम निम्नलिखित हैं ।

1. PVTG विकास योजना – इस योजना का उद्देश्य PVTG समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करना है। इसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, और बुनियादी सुविधाओं जैसे क्षेत्रों में विकास कार्य शामिल हैं ।

2. शिक्षा और साक्षरता – PVTG समूहों के बच्चों के लिए विशेष स्कूल और छात्रवृत्ति योजनाएं चलाई जाती हैं ताकि उनकी शिक्षा का स्तर बढ़ सके ।

PVTG Education
PVTG Education

3. स्वास्थ्य सेवाएं – PVTG समूहों के लिए विशेष स्वास्थ्य सेवाएं और पोषण कार्यक्रम चलाए जाते हैं ताकि उनकी स्वास्थ्य स्थिति में सुधार हो सके ।

4. आजीविका और रोजगार – कृषि, बागवानी, पशुपालन, और कौशल विकास के माध्यम से PVTG समूहों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाए जाते हैं ।

5. आवास और बुनियादी सुविधाएं – PVTG समूहों के लिए सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, और आवास सुविधाएं प्रदान की जाती हैं ।

इन योजनाओं का उद्देश्य PVTG समूहों की समग्र विकास और उनकी सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना है ।

किस राज्य में PVTG सबसे अधिक है?

भारत में Odishan State में सबसे अधिक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) हैं। Odishan में कुल 13 PVTG Groups हैं, जिनकी जनसंख्या 2.5 लाख से अधिक है. इसके बाद आंध्र प्रदेश में 12, गुजरात में 8, और तमिलनाडु में 6 PVTG समूह हैं ।

किस राज्य में PVTG का विकास हो रहा है?

भारत में कई राज्यों में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के विकास के लिए विशेष योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इनमें से कुछ प्रमुख राज्य हैं-

1. छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ में PVTG समूहों के लिए आवास अधिकार (Habitat Rights) को मान्यता दी गई है, जिससे उनकी भूमि और संसाधनों पर अधिकार सुनिश्चित किया जा सके ।

2. ओडिशा – ओडिशा में सबसे अधिक PVTG समूह हैं और यहां पर शिक्षा, स्वास्थ्य, और आजीविका के लिए विशेष योजनाएं चलाई जा रही हैं।

3. झारखंड – झारखंड में भी PVTG समूहों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं ।

PVTG समूह की प्रमुख समस्याएं

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) को कई प्रमुख समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं –

1. शिक्षा का अभाव – PVTG समूहों में शिक्षा का स्तर बहुत कम होता है, जिससे उनके बच्चों को उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसरों में कठिनाई होती है।

2. स्वास्थ्य सेवाओं की कमी – इन समूहों को पर्याप्त स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पातीं, जिससे उनकी स्वास्थ्य स्थिति खराब रहती है।

3. आर्थिक पिछड़ापन – PVTG समूह मुख्य रूप से कृषि, शिकार और संग्रहण पर निर्भर होते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर रहती है।

4. बुनियादी सुविधाओं की कमी – सुरक्षित पेयजल, स्वच्छता, और आवास जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी होती है।

5. सामाजिक भेदभाव – इन समूहों को समाज में भेदभाव और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।

6. संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण – आधुनिकता और बाहरी प्रभावों के कारण इनकी पारंपरिक संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण एक बड़ी चुनौती है।

इन समस्याओं के समाधान के लिए सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा कई योजनाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, लेकिन अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।

PVTG प्रमाण पत्र क्या है?

PVTG certificate एक आधिकारिक documents है जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के सदस्यों को जारी किया जाता है। इस certificate का उद्देश्य इन समूहों की पहचान और उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। PVTG certificate प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित प्रक्रियाएं होती हैं ।

PVTGs Certificate
PVTGs Certificate
  • आवेदन प्रक्रिया – PVTG प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करने के लिए संबंधित राज्य के जनजातीय कल्याण विभाग या जिला प्रशासन कार्यालय में आवेदन पत्र जमा करना होता है।
  • दस्तावेज़ – आवेदन के साथ आवश्यक दस्तावेज़ जैसे कि पहचान पत्र, निवास प्रमाण पत्र, और जनजातीय समूह की सदस्यता का प्रमाण प्रस्तुत करना होता है।
  • सत्यापन – आवेदन और दस्तावेज़ों की जांच और सत्यापन के बाद प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

यह प्रमाण पत्र PVTG समूहों के सदस्यों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाने में मदद करता है, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, और आजीविका से संबंधित सुविधाएं ।

परंपरागत संस्कृति में PVTG

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) अपनी अनूठी परंपरागत संस्कृति और जीवन शैली के लिए जाने जाते हैं। इनकी संस्कृति में कई महत्वपूर्ण पहलू शामिल हैं-

1. पारंपरिक जीवन शैली – PVTG समूह मुख्य रूप से शिकार, संग्रहण, और कृषि पर निर्भर होते हैं। वे जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग अपने जीवन यापन के लिए करते हैं ।

2. भाषा और बोली – प्रत्येक PVTG समूह की अपनी विशिष्ट भाषा और बोली होती है, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है ।

3. धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं – PVTG समूहों की अपनी धार्मिक और आध्यात्मिक मान्यताएं होती हैं। वे प्रकृति की पूजा करते हैं और विभिन्न त्योहारों और अनुष्ठानों का पालन करते हैं ।

4. कला और शिल्प – PVTG समूहों की कला और शिल्प में उनकी संस्कृति और परंपराओं की झलक मिलती है। वे बांस, लकड़ी, और अन्य प्राकृतिक सामग्रियों का उपयोग करके हस्तशिल्प बनाते हैं ।

5. सामाजिक संरचना – PVTG समूहों की सामाजिक संरचना पारंपरिक होती है, जिसमें परिवार और समुदाय का महत्वपूर्ण स्थान होता है। वे सामूहिक निर्णय लेने और समस्याओं के समाधान के लिए एकजुट रहते हैं ।

इन समूहों की परंपरागत संस्कृति और जीवन शैली को संरक्षित करने के लिए सरकार और विभिन्न संगठनों द्वारा विशेष प्रयास किए जा रहे हैं ।

PVTG जनजातियों की भाषा

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) अपनी अनूठी भाषाओं और बोलियों के लिए जाने जाते हैं। प्रत्येक PVTG समूह की अपनी विशिष्ट भाषा होती है, जो उनकी सांस्कृतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा है। कुछ प्रमुख PVTG समूहों की भाषाएं निम्नलिखित हैं।

  • जारवा – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहने वाले जारवा लोग अपनी जारवा भाषा बोलते हैं ।
  • ओंगे – ये भी अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में रहते हैं और ओंगे भाषा का उपयोग करते हैं ।
  • सेंटिनलीज़ – सेंटिनलीज़ लोग अपनी सेंटिनलीज़ भाषा बोलते हैं, जो बाहरी दुनिया से पूरी तरह से अलग-थलग है।
  • बिरहोर – झारखंड में रहने वाले बिरहोर लोग बिरहोर भाषा का उपयोग करते हैं ।
  • सहरिया – मध्य प्रदेश और राजस्थान में रहने वाले सहरिया लोग सहरिया भाषा बोलते हैं ।

इन भाषाओं का Protectionऔर Promotion महत्वपूर्ण है क्योंकि ये भाषाएं इन Groups की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। कई बार इन भाषाओं को विलुप्त होने का खतरा होता है, इसलिए इनके संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं.

कैसे PVTG समूहों की मदद करें ?

विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) की मदद करने के लिए आप कई तरीकों से योगदान कर सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपाय हैं ।

1. शिक्षा और साक्षरता – PVTG समूहों के बच्चों के लिए शिक्षा और साक्षरता कार्यक्रमों में योगदान करें। आप स्वयंसेवक के रूप में पढ़ा सकते हैं या Educational Materials दान कर सकते हैं ।

2. स्वास्थ्य सेवाएं – स्वास्थ्य शिविरों का आयोजन करें या स्वास्थ्य सेवाओं के लिए धनराशि जुटाएं। आप स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों में भी भाग ले सकते है ।

3. आजीविका के अवसर – PVTG समूहों के लिए कौशल विकास और आजीविका के अवसर प्रदान करें। कृषि, बागवानी, और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में Training कार्यक्रम आयोजित करे ।

PVTGs
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4. संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण – इन समूहों की सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने के लिए उनके पारंपरिक कला और शिल्प को बढ़ावा दें। आप उनके उत्पादों को Market में बेचने में Help कर सकते हैं ।

5. सामाजिक जागरूकता – PVTG समूहों के अधिकारों और समस्याओं के बारे में जागरूकता फैलाएं। आप सोशल मीडिया, लेख, और सेमिनार के माध्यम से लोगों को जागरूक कर सकते हैं ।

6. सरकारी योजनाओं का लाभ – PVTG समूहों को सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों का लाभ उठाने में मदद करें। आप उन्हें आवेदन प्रक्रिया और आवश्यक दस्तावेज़ों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकते हैं।

इन उपायों के माध्यम से आप PVTG समूहों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।

Refrence

FAQ

PVTG का फुल फॉर्म क्या है ?

PVTG का पूरा नाम विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह(Particularly Vulnerable Tribal Groups) है. यह भारत सरकार द्वारा उन जनजातियों की पहचान और सुरक्षा के लिए किया गया वर्गीकरण है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक कमजोर हैं।

PVTG समुदाय क्या है ?

 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) भारत सरकार द्वारा उन जनजातियों की पहचान और सुरक्षा के लिए किया गया एक वर्गीकरण है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक कमजोर हैं ।

पीवीटीजी का मतलब क्या होता है?

पीवीटीजी का मतलब विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Groups) होता है. यह भारत सरकार द्वारा उन जनजातियों की पहचान और सुरक्षा के लिए किया गया एक वर्गीकरण है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से अत्यधिक कमजोर हैं ।

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