IPO full form in hindi IPO में निवेश करने से पहले जानें 8 महत्वपूर्ण  बातें   

IPO Full Form “इनिशियल पब्लिक ओफ्फेरिंग” जब कोई Company पहली बार अपने Shares को आम जनता के लिए बेचती है, तो इसे IPO कहते हैं। यह प्रक्रिया Company को पूंजी जुटाने में Help करती है, जिसे वे अपने व्यापार को बढ़ाने और New Projects में निवेश करने के लिए उपयोग कर सकती हैं।

IPO के बाद, जो लोग कंपनी के शेयर खरीदते हैं, वे कंपनी के मालिक बन जाते हैं और कंपनी के मुनाफे में हिस्सा पाते हैं।

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आज इस पोस्ट में IPO के फुल फॉर्म के साथ में आपको आज आईपीओ के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी ।

IPO full form in hindi

IPO का फुल फॉर्म “Initial Public Offering” होता है, जिसे हिंदी में “प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव” कहा जाता है जब कोई कंपनी पहली बार अपने शेयरों को जनता के लिए जारी करती है, तो उसे IPO कहा जाता है यह प्रक्रिया कंपनी को Share Market में Listed होने और fund जुटाने में Help करती है ।

Initial Public Offering क्या होता है?

IPO (Initial Public Offering) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई निजी Company पहली बार अपने शेयरों को आम जनता के लिए जारी करती है। सरल शब्दों में, यह Company के लिए fund जुटाने का एक तरीका है। जब Company अपने शेयर बेचती है, तो वह Stock Exchange पर Listed हो जाती है और सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली Company बन जाती है ।

IPO Full Form In Hindi
IPO Full Form In Hindi

IPO के माध्यम से, कंपनी अपने स्वामित्व का एक हिस्सा Investors को बेचती है, जिससे उसे विकास और विस्तार के लिए आवश्यक money मिलता है ।

उदाहरण: मान लीजिए कि एक कंपनी है जो अब तक केवल कुछ निजी निवेशकों के पास थी। अब वह कंपनी अपने व्यापार को और बढ़ाना चाहती है, लेकिन इसके लिए उसे अधिक पैसे की जरूरत है। इसलिए, वह कंपनी अपने कुछ शेयरों को आम जनता को बेचने का निर्णय लेती है। इस प्रक्रिया को ही IPO कहते हैं।

IPO की प्रक्रिया क्या होती है?

IPO (Initial Public Offering) की प्रक्रिया में कई चरण शामिल होते हैं, जो एक निजी कंपनी को सार्वजनिक कंपनी में बदलने में मदद करते हैं।

1. Prospectus preparation

 कंपनी एक विस्तृत Prospectus तैयार करती है, जिसमें Financial statements, business model, और विकास योजनाएं शामिल होती हैं। यह दस्तावेज़ निवेशकों को कंपनी की संभावनाओं और जोखिमों को समझने में Help करता है।

2. Regulatory approval

कंपनी को Securities and Exchange Board of India (SEBI) से Approval प्राप्त करना होता है। SEBI कंपनी के प्रॉस्पेक्टस की समग्र समीक्षा करता है ताकिRegulatory Standards और पारदर्शिता के साथ अनुपालन सुनिश्चित किया जा सके।

3. शेयरों की कीमत निर्धारण

कंपनी, अक्सर Investment bankers की मदद से, अपने शेयरों के लिए price range तय करती है। यह या तो एक निश्चित मूल्य विधि या एक Book-making process के माध्यम से किया जा सकता है।

4. Marketing

IPO को संस्थागत और खुदरा Investors को Promoted किया जाता है। इसका उद्देश्य रुचि उत्पन्न करना और बाजार की मांग का आकलन करना होता है।

5. सार्वजनिक सदस्यता

 Investors तय की गई मूल्य सीमा के भीतर शेयरों के लिए बोली लगाकर IPO की Membership लेते हैं। Membership अवधि के बाद, मांग और Investment Types (खुदरा, संस्थागत) के आधार पर शेयरों का Allocation किया जाता है।

6. Allotment and Listing of Shares

शेयरों का आवंटन होने के बाद, उन्हें Stock Exchange पर Listed किया जाता है, जिससे वे सार्वजनिक रूप से कारोबार किए जा सकते हैं।

IPO प्रक्रिया कंपनी को Fund जुटाने और विस्तार करने में Help करती है, जबकि निवेशकों को कंपनी के विकास में भाग लेने का अवसर मिलता है ।

IPO कितने प्रकार की होती है ?

IPO (Initial Public Offering) मुख्यतः 2 प्रकार की होती है

1. फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (Fixed Price IPO)

 इस प्रकार के IPO में कंपनी अपने Shares की एक निश्चित कीमत तय करती है। Investors को पहले से ही पता होता है कि उन्हें प्रति शेयर कितनी राशि का Payment करना होगा। इस प्रक्रिया में, Investors को आवेदन करते समय Shares की पूरी कीमत का Payment करना होता है ।

2. बुक बिल्डिंग आईपीओ (Book Building IPO)

इस प्रकार के IPO में कंपनी एक मूल्य बैंड (Price Band) तय करती है, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम कीमत शामिल होती है। निवेशक इस Band के भीतर अपनी बोली लगाते हैं और अंतिम कीमत Investors की बोलियों के आधार पर तय की जाती है। इस प्रक्रिया में, Investors को शेयरों की संख्या और प्रति शेयर भुगतान करने की amount Specify करनी होती है ।

बुक बिल्डिंग IPO कैसे काम करता है?

बुक बिल्डिंग IPO एक प्रक्रिया है जिसमें कंपनी अपने शेयरों के लिए एक मूल्य सीमा (प्राइस बैंड) तय करती है और निवेशकों से बोली लगवाती है। यहाँ इस प्रक्रिया के मुख्य चरण दिए गए हैं

1. Appointment of Lead Managers

कंपनी Lead मैनेजर या Under writers को नियुक्त करती है, जो IPO प्रक्रिया की देखरेख करते हैं और regulators निकायों के साथ काम करते हैं।

2. Price Discovery

 lead manager संभावित Investors से रुचि प्राप्त करते हैं और एक Price range तय करते हैं, जिसमें न्यूनतम और अधिकतम Price range शामिल होती है।

3. बोली चरण (Bidding Phase)

योग्य संस्थागत खरीदार (QIBs), Non-institutional investors और खुदरा व्यक्तिगत investors इस मूल्य सीमा के भीतर बोली लगाते हैं। निवेशक उस मात्रा और price को specified करते हैं जिस पर वे शेयर खरीदना चाहते हैं।

4. Book building period

यह अवधि आम तौर पर कुछ दिनों तक चलती है, जिसके दौरान investors अपनी बोलियों को modified कर सकते हैं। lead manager विभिन्न मूल्य स्तरों पर प्राप्त बोलियों का आकलन करते हैं।

5. आवंटन (Allocation)

Book building period समाप्त होने के बाद, lead manager मांग, बोली मूल्य और Relevant regulations के आधार पर निवेशकों को शेयर आवंटित करते हैं। अंतिम कीमत जिस पर share जारी किए जाते हैं, उसे Cut-off कीमत कहा जाता है।

आईपीओ में निवेश कैसे करें?

IPO (Initial Public Offering) में निवेश करने के लिए निम्नलिखित Steps का पालन करें

1. डीमैट और ट्रेडिंग खाता खोलें

 IPO में निवेश करने के लिए आपके पास एक Demat Account और एक Trading Account होना चाहिए। आप किसी भी Broker or bank के माध्यम से ये खाते खोल सकते हैं।

2. IPO की जानकारी प्राप्त करें

विभिन्न कंपनियों के IPO की जानकारी प्राप्त करने के लिए आप Stock Exchange की वेबसाइट, Broker की वेबसाइट, या Financial news portals का उपयोग कर सकते हैं।

3. IPO के लिए आवेदन करें

जब कोई कंपनी IPO जारी करती है, तो आप अपने Trading account के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। आवेदन करते समय, आपको शेयरों की संख्या और बोली मूल्य specified करना होगा।

4. ASBA (Application Supported by Blocked Amount) का उपयोग करें

 ASBA एक सुविधा है जिसके माध्यम से आपके Bank Accounts में आवश्यक राशि ब्लॉक हो जाती है। यदि आपको शेयर आवंटित होते हैं, तो वही राशि आपके खाते से Debit हो जाती है। यह सुविधा आपके बैंक के माध्यम से उपलब्ध होती है।

5. शेयर आवंटन की जांच करें

IPO की सदस्यता अवधि समाप्त होने के बाद, Company Shares का आवंटन करती है। आप BSE या NSE की वेबसाइट पर जाकर अपने आवेदन की स्थिति जांच सकते हैं।

6. Listing of Shares

 यदि आपको Shares आवंटित होते हैं, तो वे आपके Demat Accounts में जमा हो जाएंगे और स्टॉक एक्सचेंज पर Listed हो जाएंगे। इसके बाद, आप उन्हें अपने Trading account के माध्यम से खरीद या बेच सकते हैं।

आईपीओ में क्या फायदा है?

IPO (Initial Public Offering) में निवेश करने के कई लाभ होते हैं। यहाँ 5 प्रमुख फायदे दिए गए हैं

1. पूंजी जुटाना -IPO के माध्यम से कंपनियाँ बड़ी मात्रा में पूंजी जुटा सकती हैं, जिसका उपयोग वे अपने व्यवसाय के विस्तार, ऋण चुकाने, और New Projects में निवेश करने के लिए कर सकती हैं।

2. Practicality (व्यावहारिकता)– IPO के बाद, कंपनी के Shares Stock Exchange पर Listed हो जाते हैं, जिससे निवेशकों को अपने शेयरों को आसानी से खरीदने और बेचने की सुविधा मिलती है।

3 . ब्रांड प्रतिष्ठा (brand reputation)– सार्वजनिक रूप से Listed होने से कंपनी की brand और विश्वसनीयता बढ़ती है, जिससे ग्राहकों और Investors का विश्वास बढ़ता है।

IPO full Form
IPO full Form

4. निवेशकों के लिए अवसर– IPO निवेशकों को कंपनी के शुरुआती चरण में Investment करने का अवसर प्रदान करता है, जिससे उन्हें भविष्य में उच्च Return प्राप्त करने का मौका मिलता है।

5 . विविधता– IPO के माध्यम से कंपनी अपने Shareholders आधार को Detailed कर सकती है, जिससे स्वामित्व का risk कम होता है और कंपनी की स्थिरता बढ़ती है।

आईपीओ के नुकसान

IPO (Initial Public Offering) में निवेश करने के कुछ नुकसान भी होते हैं। यहाँ पाँच प्रमुख नुकसान दिए गए हैं¹²:

1. High risk- IPO में निवेश करना Risk भरा हो सकता है क्योंकि नई Listed Companies का प्रदर्शन अनिश्चित होता है। निवेशकों को कंपनी के Future के प्रदर्शन का पूर्वानुमान लगाना difficult हो सकता है।

2. Cost- IPO प्रक्रिया में कंपनियों को high cost का सामना करना पड़ता है, जिसमें Underwriting Fees, कानूनी और accounting fees शामिल होते हैं। ये लागतें कंपनी के Financial Resources पर दबाव डाल सकती हैं।

3. management का ध्यान बंटना- public company बनने के बाद, management को निवेशकों और Regulators के प्रति जवाबदेह होना पड़ता है, जिससे उनका ध्यान व्यवसाय के संचालन से हट सकता है।

4. शेयर मूल्य में अस्थिरता- IPO के बाद, शेयर की कीमत में Extreme volatility हो सकती है। बाजार की स्थितियों और निवेशकों की धारणा के आधार पर शेयर की कीमत में बड़े उतार-चढ़ाव हो सकते हैं।

5. Disclosure of Information– सार्वजनिक कंपनी बनने के बाद, कंपनियों को अपने वित्तीय और Operational Information का खुलासा करना पड़ता है। यह Competitors को कंपनी की Strategies और presentation के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अवसर देता है।

Nifty 50 में IPO की सूची

Nifty 50 में शामिल IPO की सूची समय-समय पर बदलती रहती है क्योंकि यह Index भारत के 50 सबसे बड़े और सबसे अधिक तरल Shares को ट्रैक करता है। Nifty 50 में शामिल कंपनियों के IPO की जानकारी प्राप्त करने के लिए आप निम्नलिखित स्रोतों का उपयोग कर सकते हैं

1. NSE (National Stock Exchange) की वेबसाइट – यहाँ आप वर्तमान और आगामी IPO की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। NSE की Website पर IPO के बारे में detailed information उपलब्ध होती है, जिसमें Price Bands, Subscription Dates, और allotment स्थिति शामिल होती है ।

2. Nifty IPO Index– यह इंडेक्स उन IPO का Performance Tracks करता है जो हाल ही में NSE पर Listed हुए हैं। यह Index आपको नवीनतम 100 IPO की जानकारी प्रदान करता है।

3. वित्तीय समाचार पोर्टल्स– विभिन्न Financial News Websites और पोर्टल्स पर भी IPO की जानकारी उपलब्ध होती है। ये पोर्टल्स आपको IPO के बारे में ताज़ा खबरें और Analysis प्रदान करते हैं ।

IPO में निवेश करने से पहले जानें 8 महत्वपूर्ण बातें   

IPO (Initial Public Offering) में निवेश करने से पहले निम्नलिखित 8 महत्वपूर्ण बातें जानना आवश्यक है

1. DRHP (Draft Red Herring Prospectus) का विश्लेषण करें-

DRHP एक महत्वपूर्ण document है जिसमें कंपनी के Business, financial situation, और Risk के बारे में जानकारी होती है। इसे ध्यान से पढ़ें और समझें कि कंपनी IPO से जुटाई गई राशि का उपयोग कैसे करेगी।

2. IPO के उद्देश्य का मूल्यांकन करें-

यह जानना Important है कि कंपनी IPO से जुटाई गई राशि का उपयोग किस उद्देश्य के लिए कर रही है। क्या यह Business के Expansion के लिए है, Loan चुकाने के लिए, या अन्य किसी कारण के लिए ।

3. कंपनी के व्यवसाय मॉडल को समझें

 कंपनी के Business Model, उसकी competitive position, और उद्योग में उसकी स्थिति का विश्लेषण करें। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कंपनी का Business कितना स्थिर और लाभदायक है।

4. प्रमोटर की प्रोफाइल स्कैन करें

प्रमोटर और management team की पृष्ठभूमि और Experience की जांच करें। उनकी विश्वसनीयता और कंपनी के प्रति उनकी commitment को समझें।

5. कंपनी की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण करें

कंपनी के financial performance, जैसे कि Revenue, profit, और cash flow का विश्लेषण करें। यह जानना महत्वपूर्ण है कि कंपनी की Financial position कितनी मजबूत है।

6. मूल्यांकन और तुलनात्मक मूल्यांकन करें

कंपनी के Shares का Evaluation करें और इसे अन्य समान Companies के साथ तुलना करें। यह जानना महत्वपूर्ण है कि Companies का मूल्यांकन उचित है या नहीं।

7. बाजार की स्थितियों का विश्लेषण करें

वर्तमान बाजार की Situations और Economic Scenario का विश्लेषण करें। यह जानना महत्वपूर्ण है कि बाजार की conditions IPO के लिए अनुकूल हैं या नहीं।

8. जोखिमों का आकलन करें

IPO में निवेश करने से जुड़े Risk का आकलन करें। यह जानना महत्वपूर्ण है कि Company के व्यवसाय में कौन-कौन से Risk शामिल हैं और आप उन Risk को कैसे Managed कर सकते हैं।

इन सभी बिंदुओं का ध्यानपूर्वकAnalysis करने के बाद ही IPO में निवेश करने का निर्णय लें।

आईपीओ में कमाई कैसे करें ?

IPO (Initial Public Offering) में कमाई करने के कुछ प्रमुख तरीके हैं

1. लिस्टिंग गेन

IPO में निवेश करने का एक प्रमुख Profit लिस्टिंग गेन है। जब कंपनी के शेयर स्टॉक एक्सचेंज पर Listed होते हैं, तो उनकी कीमत अक्सर issue price से अधिक होती है। इस अंतर से Investors को लाभ होता है।

2. दीर्घकालिक निवेश

 यदि आप कंपनी के भविष्य में विश्वास रखते हैं, तो आप IPO के बाद शेयरों को लंबे समय तक Hold कर सकते हैं। समय के साथ, कंपनी के परफॉरमेंस में सुधार होने पर Share की कीमत बढ़ सकती है, जिससे आपको अच्छा Return मिल सकता है।

3. डिविडेंड (Dividend)

कुछ कंपनियाँ अपने Shareholders को डिविडेंड भी देती हैं। यदि आप कंपनी के Shares held करते हैं, तो आपको नियमित अंतराल पर डिविडेंड के रूप में अतिरिक्त Income प्राप्त हो सकती है।

4. पोर्टफोलियो विविधता (Portfolio Diversification)

 IPO में निवेश करके आप अपने निवेश Portfolio को various बना सकते हैं। इससे आपके Investment के जोखिम कम होता है और आपको विभिन्न Industries में निवेश करने का अवसर मिलता है।

5. कंपनी की ग्रोथ में भागीदारी

IPO में निवेश करके आप कंपनी की Growth में भागीदार बन सकते हैं। यदि कंपनी का Business सफल होता है, तो आपको भी इसका Profit मिलता है ।

IPO में निवेश करने से पहले, कंपनी के Business model, financial position, और Risk का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करना महत्वपूर्ण है।

आईपीओ अच्छा है या बुरा कैसे चेक करें?

IPO (Initial Public Offering) अच्छा है या बुरा, यह जानने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए –

  • 1. कंपनी का व्यवसाय मॉडल– कंपनी किस प्रकार का Business करती है और उसका भविष्य में कितना विकास संभव है, यह जानना महत्वपूर्ण है।
  • 2. वित्तीय स्थिति- कंपनी की वित्तीय स्थिति, जैसे कि Revenue, profit, और ऋण की स्थिति का Analysis करें।
  • 3. प्रमोटर्स और प्रबंधन- कंपनी के Promoters and Management की background और अनुभव को देखें।
  • 4. उद्देश्य– IPO से जुटाई गई पूंजी का उपयोग किस उद्देश्य के लिए किया जाएगा, यह जानना Important है।
  • 5. प्रतिस्पर्धा- कंपनी के उद्योग में Competition की स्थिति और कंपनी की competitive स्थिति का विश्लेषण करें।
  • 6. DRHP (Draft Red Herring Prospectus)– DRHP को ध्यान से पढ़ें, जिसमें Company के बारे में विस्तृत इनफार्मेशन होती है।
  • 7. मार्केट सेंटिमेंट– बाजार की मौजूदा स्थिति और Investor Sentiment भी महत्वपूर्ण है।
  • इन बिंदुओं के आधार पर आप यह निर्णय ले सकते हैं कि कोई IPO निवेश के लिए अच्छा है या नहीं।

FAQ of आईपीओ

प्रश्न 1. शेयर मार्केट में IPO क्या होता है?

IPO (Initial Public Offering) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से कोई निजी कंपनी अपने शेयरों को पहली बार सार्वजनिक रूप से Investors को बेचती है।

इसका मुख्य उद्देश्य पूंजी जुटाना होता है, जिससे कंपनी अपने व्यवसाय का Expansion कर सके, ऋण चुकता कर सके, या New Projects में निवेश कर सके ।

प्रश्न 2 . 1 लॉट का मतलब कितने शेयर ?

IPO (Initial Public Offering) में लॉट साइज का मतलब है कि 1 लॉट में कितने Share होते हैं। यह संख्या Company द्वारा निर्धारित की जाती है और IPO प्रॉस्पेक्टस में इसका उल्लेख होता है।

उदाहरण के लिए, यदि किसी Company का लॉट साइज 100 Share है, तो निवेशक को कम से कम 100 शेयर या उसके गुणकों के लिए बोली लगानी होगी ।

लॉट Size का उद्देश्य IPO Process को सरल और व्यवस्थित बनाना है, जिससे कंपनी के लिए बोलियों का management और शेयर Allocate करना आसान हो जाता है ।

प्रश्न 3 आईपीओ कितने दिन तक रहता है?

IPO (Initial Public Offering) की सदस्यता अवधि आमतौर पर 3 से 5 दिनों तक होती है. इस अवधि के दौरान Investors अपने आवेदन जमा कर सकते हैं और Shares के लिए बोली लगा सकते हैं।

Membership अवधि समाप्त होने के बाद, कंपनी Shares को Allocate करती है और फिर वे Stock Exchange पर Listed होते हैं।

प्रश्न 4. 1 शेयर कितना होता है?

1 शेयर का मतलब होता है किसी कंपनी में आंशिक स्वामित्व। जब आप किसी Company का 1 शेयर खरीदते हैं, तो आप उस Company के एक छोटे हिस्से के मालिक बन जाते हैं।

उदाहरण के लिए, यदि किसी कंपनी ने 100 Shares जारी किए हैं और आपके पास 1 Share है, तो आपके पास कंपनी में 1% भागीदारी है

प्रश्न 5 . IPO का पूरा नाम क्या होता है ?

IPO का पूरा नामा “IPO (Initial Public Offering)” होता है ।

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