PESA Act Full Form in Hindi- PESA अधिनियम 1996

“PESA अधिनियम” भारत के ग्रामीण इलाकों में स्थानीय स्वशासन और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कानून है। PESA का पूरा नाम है “पंचायती राज व्यवस्था (पारंपरिक क्षेत्र) अधिनियम”। इस अधिनियम को 1996 में लागू किया गया था और इसका उद्देश्य आदिवासी क्षेत्रों में स्वशासन को मजबूत करना है।

PESA अधिनियम के तहत, आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय पंचायतों को विशेष अधिकार और शक्तियाँ प्रदान की जाती हैं। इसका मतलब है कि ये पंचायतें अपने क्षेत्र की समस्याओं और विकास कार्यों का निर्णय खुद ले सकती हैं, बिना बाहरी हस्तक्षेप के। इससे आदिवासियों की संस्कृति और परंपराओं को सम्मान मिलता है, और वे अपने विकास के मार्गदर्शक खुद बन सकते हैं।

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इस अधिनियम के माध्यम से, सरकार ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि आदिवासी समुदायों को उनके अधिकार और संसाधनों पर नियंत्रण मिले। PESA अधिनियम का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को उनके स्वशासन के अधिकार देना है, ताकि वे अपने इलाके की समस्याओं का समाधान खुद कर सकें और विकास के फैसले खुद ले सकें।

PESA Act Full Form in Hindi

PESA Act Full Form In Hindi “Panchayats (Extension to Scheduled Areas” हिदी में इसे “पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम” है इसे 1996 में पारित किया गया था ताकि अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को स्वशासन का अधिकार मिल सके और उनकी ग्राम सभाओं को सशक्त बनाया जा सके ।

PESA अधिनियम क्या है?

PESA अधिनियम, जिसे “पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम” कहा जाता है, 1996 में पारित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देता है ।

PESA Act Full Form In Hindi
PESA Act Full Form In Hindi

सरल शब्दों में, यह अधिनियम पेसा ग्राम सभाओं को अधिक शक्तियाँ और अधिकार देता है ताकि वे अपने क्षेत्र के विकास और प्रशासन में सक्रिय भूमिका निभा सकें यह कानून आदिवासी समुदायों की पारंपरिक रीति-रिवाजों को मान्यता देता है और उन्हें अपने संसाधनों का प्रबंधन करने का अधिकार देता है ।

पेसा एक्ट मोबिलाइजर क्या है?

पेसा एक्ट मोबिलाइजर एक ऐसा व्यक्ति होता है जो पेसा (PESA) अधिनियम के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभाओं और पंचायतों के बीच समन्वय स्थापित करने का कार्य करता है। उनका मुख्य उद्देश्य जनजातीय समुदायों को सशक्त बनाना और उन्हें पेसा अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूक करना है।

पेसा एक्ट मोबिलाइजर मुख्य कार्य

  1. जागरूकता फैलाना- पेसा अधिनियम के प्रावधानों और अधिकारों के बारे में जनजातीय समुदायों को जानकारी देता है ।
  2. समन्वय- ग्राम सभा और पंचायत के बीच समन्वय स्थापित करना और उनके बीच संवाद को बढ़ावा देता है ।
  3. प्रशिक्षण – ग्राम सभा के सदस्यों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में प्रशिक्षण देता है किस प्रकार से वह अपने अधिकार के लिए सुचारू रूप से कार्य कर सके ।
  4. विकास योजनाएँ- ग्राम सभा द्वारा स्वीकृत विकास योजनाओं को लागू करने में सहायता करता है ।
  5. विवाद समाधान- ग्राम सभा और पंचायत के बीच उत्पन्न विवादों को सुलझाने में Help करता है ।

पेसा एक्ट मोबिलाइजर का महत्व

  • पेसा एक्ट मोबिलाइजर जनजातीय समुदायों को स्वशासन के अधिकारों का उपयोग करने में मदद करते हैं।
  • वे सुनिश्चित करते हैं कि विकास योजनाएँ और सरकारी योजनाएँ सही तरीके से लागू हों।
  • वे जनजातीय समुदायों की आवाज़ को सरकार तक पहुँचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।

पेसा ग्राम सभा और पंचायत में क्या अंतर है

मुख्य अंतर ग्राम सभापंचायत
सदस्यताइसमें गाँव के सभी वयस्क नागरिक शामिल होते हैं, जिनका नाम मतदाता सूची में होता है।यह निर्वाचित प्रतिनिधियों का समूह होता है, जिसमें सरपंच और पंच शामिल होते हैं।
निर्णय लेने की शक्तियह गाँव के विकास और प्रशासन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतिम निर्णय लेती है।यह ग्राम सभा द्वारा लिए गए निर्णयों को लागू करती है।
बैठकेंइसकी बैठकें वर्ष में कम से कम चार बार होती हैं।इसकी बैठकें नियमित रूप से होती हैं, लेकिन इसमें केवल निर्वाचित प्रतिनिधि ही भाग लेते हैं।
अधिकारयह गाँव के विकास योजनाओं, बजट, और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार रखती है।यह ग्राम सभा के निर्णयों को लागू करने और गाँव के संसाधनों का प्रबंधन करने का कार्य करती है।
जवाबदेहीयह पंचायत के कार्यों की निगरानी करती है और उसे जवाबदेह बनाती है।यह ग्राम सभा के प्रति जवाबदेह होती है और उसे अपने कार्यों का विवरण प्रस्तुत करती है।
वित्तीय प्रबंधनयह गाँव के बजट और वित्तीय योजनाओं को मंजूरी देती है।यह वित्तीय योजनाओं को लागू करती है और खर्च का प्रबंधन करती है।
विकास योजनाएँयह विकास योजनाओं को मंजूरी देती है और उनकी प्राथमिकता तय करती है।यह विकास योजनाओं को लागू करती है और उनकी प्रगति की रिपोर्ट देती है।
सामाजिक मुद्देयह सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करती है और समाधान निकालती है।यह सामाजिक मुद्दों के समाधान को लागू करती है।
संपत्ति का प्रबंधनयह गाँव की सामुदायिक संपत्ति के प्रबंधन के लिए नियम बनाती है।यह इन नियमों को लागू करती है और संपत्ति का प्रबंधन करती है।
विवाद समाधानयह गाँव के भीतर विवादों को सुलझाने के लिए निर्णय लेती है।यह ग्राम सभा के निर्णयों के अनुसार विवादों का समाधान करती है

PESA अधिनियम में कितने प्रावधान होते हैं

PESA अधिनियम (पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996) में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल हैं, जो अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देने के लिए बनाए गए हैं यहाँ कुछ प्रमुख प्रावधानों का विवरण दिया गया है

  1. ग्राम सभा की स्थापना- प्रत्येक गाँव में एक ग्राम सभा की स्थापना की जाती है, जो स्थानीय प्रशासन का मुख्य निकाय होती है ।
  2. विकास योजनाओं की स्वीकृति- ग्राम सभा को विकास योजनाओं की स्वीकृति और निगरानी का अधिकार दिया गया है ।
  3. स्थानीय विवादों का निपटारा- ग्राम सभा को स्थानीय विवादों का निपटारा करने का अधिकार है ।
  4. संसाधनों का प्रबंधन- ग्राम सभा को स्थानीय संसाधनों जैसे भूमि, जल और वन का प्रबंधन करने का अधिकार है ।
  5. वन संरक्षण- वन संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन में ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है ।
  6. पारंपरिक प्रणालियों की मान्यता- आदिवासी समुदायों की पारंपरिक प्रणालियों और रीति-रिवाजों को मान्यता दी जाती है
  7. सामाजिक और आर्थिक विकास- सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यक्रमों और परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार ग्राम सभा को दिया गया है ।
  8. ग्राम सभा की भूमिका- ग्राम सभा को सभी गतिविधियों का केंद्र बनाना और उन्हें अधिक शक्तियाँ देना ।
  9. आदिवासी अधिकारों की रक्षा– आदिवासी समुदायों के पारंपरिक अधिकारों और संसाधनों की रक्षा करना
  10. ग्राम सभा के निर्णय- ग्राम सभा के निर्णयों को मान्यता और सम्मान देना ।

पेसा (PESA) किसलिए महत्वपूर्ण है?

PESA अधिनियम (पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम, 1996) कई कारणों से महत्वपूर्ण है:

स्वशासन का अधिकार- यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देता है, जिससे वे अपने क्षेत्र के विकास और प्रशासन में सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं ।

पारंपरिक प्रणालियों की मान्यता- यह अधिनियम आदिवासी समुदायों की पारंपरिक प्रणालियों और रीति-रिवाजों को मान्यता देता है, जिससे उनकी सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं की रक्षा होती है ।

संसाधनों का प्रबंधन- PESA अधिनियम ग्राम सभाओं को स्थानीय संसाधनों जैसे भूमि, जल, और वन का प्रबंधन करने का अधिकार देता है, जिससे संसाधनों का सतत उपयोग और संरक्षण सुनिश्चित होता है ।

विकास योजनाओं की स्वीकृति- ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की स्वीकृति और निगरानी का अधिकार दिया गया है, जिससे योजनाएँ स्थानीय आवश्यकताओं और प्राथमिकताओं के अनुसार बनाई और लागू की जा सकें

सामाजिक और आर्थिक विकास- यह अधिनियम सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यक्रमों और परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार ग्राम सभाओं को देता है, जिससे स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलता है ।

वन संरक्षण – वन संसाधनों की सुरक्षा और प्रबंधन में ग्राम सभा की भागीदारी सुनिश्चित की जाती है, जिससे वन संरक्षण को बढ़ावा मिलता है ।

स्थानीय विवादों का निपटारा- ग्राम सभा को स्थानीय विवादों का निपटारा करने का अधिकार है, जिससे विवादों को सुलझाने में पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है ।

आदिवासी अधिकारों की रक्षा- यह अधिनियम आदिवासी समुदायों के पारंपरिक अधिकारों और संसाधनों की रक्षा करता है, जिससे उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है ।

ग्राम सभा की भूमिका- ग्राम सभा को सभी गतिविधियों का केंद्र बनाना और उन्हें अधिक शक्तियाँ देना, जिससे स्थानीय प्रशासन और विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता मिलती है ।

सामाजिक न्याय- यह अधिनियम सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए काम करता है, जिसमें अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों की रक्षा शामिल है ।

पांचवीं अनुसूची (5th Schedule) क्षेत्र क्या है?

भारतीय संविधान की पांचवीं अनुसूची (5th Schedule) उन क्षेत्रों के प्रशासन और नियंत्रण से संबंधित है जहाँ अनुसूचित जनजातियाँ निवास करती हैं। ये क्षेत्र विशेष रूप से आदिवासी समुदायों की सामाजिक, सांस्कृतिक, और आर्थिक सुरक्षा के लिए चिन्हित किए गए हैं। पांचवीं अनुसूची के तहत निम्नलिखित प्रावधान शामिल हैं:

  • अनुसूचित क्षेत्रों की पहचान- राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की सिफारिश पर इन क्षेत्रों की पहचान की जाती है ।
  • जनजातीय सलाहकार परिषद-प्रत्येक राज्य में, जहाँ अनुसूचित क्षेत्र हैं, एक जनजातीय सलाहकार परिषद स्थापित की जाती है। यह परिषद राज्यपाल को अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से संबंधित विषयों पर सलाह देती है ।
  • भूमि और संसाधनों का प्रबंधन– अनुसूचित क्षेत्रों में भूमि और अन्य संसाधनों के हस्तांतरण पर प्रतिबंध है। यह सुनिश्चित करता है कि आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा हो सके ।
  • विकास योजनाओं की स्वीकृति– ग्राम सभाओं को विकास योजनाओं की स्वीकृति और निगरानी का अधिकार दिया गया है, जिससे योजनाएँ स्थानीय आवश्यकताओं के अनुसार बनाई और लागू की जा सकें ।
  • स्थानीय विवादों का निपटारा- ग्राम सभा को स्थानीय विवादों का निपटारा करने का अधिकार है, जिससे विवादों को सुलझाने में पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया जा सकता है ।
  • सामाजिक और आर्थिक विकास- यह अधिनियम सामाजिक और आर्थिक विकास के कार्यक्रमों और परियोजनाओं को स्वीकृति देने का अधिकार ग्राम सभाओं को देता है, जिससे स्थानीय विकास को बढ़ावा मिलता है ।

पांचवीं अनुसूची का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करना है, जिससे वे अपने क्षेत्र के विकास और प्रशासन में सक्रिय भूमिका निभा सकें ।

5 वी अनुसूची के क्षेत्रों में किस प्रकार का समुदाय होता है ?

पंचवीं अनुसूची के क्षेत्रों में मुख्यतः अनुसूचित जनजातियाँ (Scheduled Tribes) निवास करती हैं। ये क्षेत्र विशेष रूप से आदिवासी समुदायों के लिए चिन्हित किए गए हैं, ताकि उनकी पारंपरिक जीवनशैली, संस्कृति, और अधिकारों की रक्षा की जा सके।

सांस्कृतिक विविधता

इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की अपनी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान होती है, जिसमें उनकी भाषा, परंपराएँ, और रीति-रिवाज शामिल हैं

पारंपरिक जीवनशैली

आदिवासी समुदायों की जीवनशैली मुख्यतः जंगलों, पहाड़ों, और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित होती है। वे कृषि, शिकार, और वनोपज पर निर्भर रहते हैं ।

सामाजिक संरचना-

इन समुदायों की सामाजिक संरचना पारंपरिक पंचायतों और ग्राम सभाओं पर आधारित होती है, जो स्थानीय प्रशासन और विवादों के निपटारे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं ।

आर्थिक गतिविधियाँ

आदिवासी समुदायों की आर्थिक गतिविधियाँ मुख्यतः कृषि, वनोपज, और हस्तशिल्प पर आधारित होती हैं। वे अपने संसाधनों का सतत उपयोग और संरक्षण करते हैं ।

उद्देश्य

पंचवीं अनुसूची का मुख्य उद्देश्य इन क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और विकास सुनिश्चित करना है। इसके तहत उन्हें स्वशासन का अधिकार दिया गया है और उनकी पारंपरिक प्रणालियों की मान्यता दी गई है ।

PESA अधिनियम के तहत कार्य करने में कठिनाई

PESA अधिनियम, 1996 के कार्यान्वयन में कई चुनौतियाँ और आपत्तियाँ सामने आई हैं। यहाँ कुछ प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया गया है:

  1. स्पष्टता की कमी– PESA अधिनियम के प्रावधानों में स्पष्टता की कमी है, जिससे इसके कार्यान्वयन में कठिनाइयाँ आती हैं ।
  2. कानूनी समस्याएँ- कई राज्यों में PESA अधिनियम के प्रावधानों को राज्य कानूनों के साथ समन्वयित नहीं किया गया है, जिससे कानूनी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं ।
  3. राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी– कई राज्यों में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण PESA अधिनियम के प्रावधानों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं किया गया है ।
  4. ब्यूरोक्रेटिक उदासीनता– प्रशासनिक स्तर पर ब्यूरोक्रेटिक उदासीनता और प्रतिरोध के कारण भी PESA अधिनियम का प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पाया है ।
  5. स्थानीय प्रशासन में सुधार की कमी- कई राज्यों में स्थानीय प्रशासनिक ढांचे में सुधार की कमी के कारण ग्राम सभाओं को उनके अधिकारों का पूर्ण उपयोग नहीं मिल पाता ।
  6. नियमों का अभाव- कई राज्यों ने अभी तक PESA अधिनियम के तहत आवश्यक नियमों को नहीं बनाया है, जिससे इसके प्रावधानों का प्रभावी कार्यान्वयन नहीं हो पा रहा है ।

इन चुनौतियों के बावजूद, PESA अधिनियम आदिवासी समुदायों के स्वशासन और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासन को और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

क्या PESA अधिनियम से आदिवासी समुदायों की सुरक्षा होती है?

हाँ, PESA (Panchayats Extension to Scheduled Areas) अधिनियम 1996 आदिवासी समुदायों की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण है। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देना है। इसके तहत ग्राम सभाओं को महत्वपूर्ण अधिकार और शक्तियाँ प्रदान की गई हैं, जैसे-

  1. प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार- ग्राम सभाओं को जल, जंगल और ज़मीन पर अधिकार दिया गया है, जिससे वे अपने संसाधनों का प्रबंधन कर सकते हैं ।
  2. विकास योजनाओं की मंजूरी- ग्राम सभाएँ विकास योजनाओं को मंजूरी देने और उनके कार्यान्वयन की निगरानी करने में सक्षम होती हैं ।
  3. संस्कृति और परंपराओं का संरक्षण- यह अधिनियम आदिवासी समुदायों की सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को संरक्षित करने में मदद करता है ।
  4. संघर्षों का समाधान- ग्राम सभाओं को बाहरी या आंतरिक संघर्षों के समाधान के लिए अधिकार दिए गए हैं ।

FAQ OF PESA

प्रश्न 1. क्या PESA से केवल पंचायतों की सुरक्षा होती है?

नहीं, PESA अधिनियम (पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम) का उद्देश्य केवल पंचायतों की सुरक्षा करना नहीं है। यह अधिनियम अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देने के लिए बनाया गया है

प्रश्न 2. मध्य प्रदेश में PESA कब लागूं हुआ

मध्य प्रदेश में PESA (Panchayats Extension to Scheduled Areas) अधिनियम को 2022 में लागू किया गया. इस अधिनियम का उद्देश्य आदिवासी समुदायों को स्वशासन का अधिकार देना और उनके संसाधनों की सुरक्षा करने का अधिकार देता है।

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