SEBI Full Form in Hindi : भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड क्या है?

SEBI आज के Financial Environment में, SEBI क्यूँ महत्वपूर्ण है क्योंकि यह stock markets, mutual funds, merchant bankers,और अन्य Financial Institutions पर निगरानी रखता है। यह किसी भी अनियमितता या धोखाधड़ी को रोकने के लिए कठोर नियम बनाता है ।

ताकि Investors का भरोसा बना रहे। इसके अलावा, SEBI कंपनियों की लिस्टिंग प्रक्रिया, IPO (Initial Public Offering), और insider trading पर नजर रखता है।

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SEBI का कार्य सिर्फ नियम लागू करना नहीं है, बल्कि यह Investors को शिक्षित करने, वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने, और पूंजी बाजार में पारदर्शिता लाने के लिए भी प्रयासरत रहता है। इसके द्वारा बनाए गए नियम और निर्देश Market में विश्वास बढ़ाने और foreign investment को आकर्षित करने में भी सहायक होते हैं।

SEBI Full Form in Hindi

SEBI का पूरा नाम हिंदी में “भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” (Securities and Exchange Board of India) है। SEBI भारत में प्रतिभूति बाजार के विनियमन और नियंत्रण का कार्य करता है। इसका मुख्य उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और बाजार में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखना है।

SEBI क्या है ?

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) एक सरकारी संस्था है, जिसका काम शेयर बाजार और अन्य Financial Markets को नियंत्रित और विनियमित करना है। SEBI यह सुनिश्चित करता है कि शेयर बाजार में धोखाधड़ी न हो और निवेशकों के हित सुरक्षित रहें।

SEBI Full Form In Hindi
SEBI Full Form In Hindi

SEBI यह देखता है कि Stock Market में कंपनियाँ और ब्रोकर ईमानदारी से काम करें। यह निवेशकों को सुरक्षित रखने के लिए नियम बनाता है ताकि कोई गलत तरीके से पैसे न कमा सके।

SEBI कंपनियों को सही तरीके से अपने Financial Reports पेश करने के लिए कहता है। यह Stock Market में पारदर्शिता और अनुशासन बनाए रखने में Help करता है ताकि सभी को समान अवसर मिल सके। SEBI का मुख्य उद्देश्य बाजार को निष्पक्ष, सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है।

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सेबी की शुरुआत कब और कैसे हुयी ?

SEBI की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को की गई थी। उस समय यह एक गैर-संवैधानिक संस्था (non-constitutional institution) थी, जिसे Stock Market में हो रहे धोखाधड़ी और अनियमितताओं पर नियंत्रण रखने के लिए बनाया गया था।

भारत में 1980 के दशक में Stock Market तेजी से बढ़ रहा था, लेकिन इस दौरान कई धोखाधड़ी और अनियमितताओं के मामले सामने आए। Investors के हितों की रक्षा करने और Market को पारदर्शी बनाने की जरूरत महसूस हुई।

कैसे शुरू हुआ

1980 के दशक में भारत के Stock Market में काफी हेरफेर और धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे थे। Investors असुरक्षित महसूस कर रहे थे, और Market में विश्वास घटने लगा था। इस स्थिति को सुधारने और Stock Market को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने एक नियामक संस्था (regulatory body) बनाने का फैसला किया। इसलिए, 1988 में SEBI की स्थापना की गई।

संवैधानिक दर्जा

1988 में SEBI की स्थापना हुई, लेकिन इसे पर्याप्त अधिकार नहीं थे। इसलिए, 30 जनवरी 1992 को संसद ने SEBI अधिनियम, 1992 पारित किया, जिससे इसे एक संवैधानिक निकाय का दर्जा मिला। इस अधिनियम ने SEBI को विभिन्न शक्तियाँ दीं, जैसे-

  • securities market  में धोखाधड़ी रोकना।
  • market  में अनुशासन और पारदर्शिता बनाए रखना।
  • Companies  Brokers पर निगरानी रखना।
  • investors के हितों की रक्षा करना।

इस तरह SEBI को एक मजबूत regulative निकाय के रूप में स्थापित किया गया, जिसका काम भारतीय financial markets को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना है।

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SEBI की संरचना कैसी है

SEBI की संरचना को समझाने के लिए हम इसे मुख्य रूप से तीन हिस्सों में बाँट सकते हैं:

1. संसद द्वारा नियुक्त सदस्य (Chairman and Board Members)

  • Chairman भारत सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
  • Whole-time Members SEBI के लिए पूरी तरह से समर्पित होते हैं और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हैं।
  • Part-time Members  इनमें से कुछ सदस्य भारत सरकार और RBI द्वारा नामित होते हैं।

2. विभिन्न विभाग (Departments)

   SEBI के तहत कई विभाग होते हैं, जिनमें हर विभाग का अपना एक विशिष्ट कार्यक्षेत्र होता है। उदाहरण:

  1. Primary Market Department- IPO, FPO से संबंधित मामले।
  2. Secondary Market Department- स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग की निगरानी।
  3. Mutual Funds Department- म्यूचुअल फंड्स का नियमन।
  4. Corporate Finance Department- कंपनियों के वित्तीय मामलों का नियमन।
  5. Enforcement Department- नियमों का पालन सुनिश्चित करना।
  6. Investor Education and Protection Department- निवेशकों की शिक्षा और सुरक्षा।

3. न्यायिक शाखा (Adjudicating Authority)

SEBI के पास अपनी न्यायिक शाखा होती है जो नियमों के उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करती है और जुर्माना लगाती है।

सेबी में कितने विभाग है ?

सेबी (Securities and Exchange Board of India) में मुख्य रूप से निम्नलिखित विभाग होते हैं:

1. कॉर्पोरेट वित्त विभाग (Corporate Finance Department) – यह विभाग Listing, Delisting, और सार्वजनिक निर्गम जैसे कॉर्पोरेट वित्तीय गतिविधियों को नियंत्रित करता है।

2. इक्विटी विभाग (Equity Department) – यह विभाग इक्विटी बाजार की गतिविधियों, Stock Exchanges, and Brokers से संबंधित कार्य करता है।

3. बॉन्ड्स और डेब्ट विभाग (Debt and Bonds Department) – यह विभाग डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स और बॉन्ड्स से संबंधित निगरानी और विनियमन करता है।

4. निवेशक शिक्षा और संरक्षण विभाग (Investor Education and Protection Department) – यह विभाग निवेशकों की शिक्षा और उनके अधिकारों के संरक्षण के लिए काम करता है।

5. वित्तीय मध्यस्थता विभाग (Financial Intermediaries Department) – यह विभाग बाजार के वित्तीय मध्यस्थों, जैसे म्यूचुअल फंड्स, मर्चेंट बैंकर्स और डिपॉजिटरी से संबंधित है।

6. शिकायत निवारण विभाग (Grievance Redressal Department) – यह विभाग निवेशकों की शिकायतों का निपटारा करता है और त्वरित समाधान प्रदान करता है।

7. अनुसंधान और विश्लेषण विभाग (Research and Analysis Department) – यह विभाग बाजार के ट्रेंड्स और गतिविधियों का विश्लेषण करता है और उपयुक्त नीतियों का सुझाव देता है।

8. नियामक विभाग (Regulatory Department) – यह विभाग सेबी के नियमों और विनियमों के प्रवर्तन और अनुपालन की निगरानी करता है।

9. विलय और अधिग्रहण विभाग (Mergers and Acquisitions Department)- यह विभाग विलय, अधिग्रहण और संबंधित मामलों की देखरेख करता है।

10. इन्फोर्समेंट विभाग (Enforcement Department) – ED यह विभाग कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करता है।

यह विभाग सेबी के विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करते हुए भारत के वित्तीय बाजार की निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में योगदान करते हैं।

SEBI के उद्देश्य एवम कार्य क्या हैं?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित होते हैं

Investors के हितों की सुरक्षा

SEBI का सबसे महत्वपूर्ण उद्देश्य Investors को धोखाधड़ी और अनियमितताओं से बचाना है। यह सुनिश्चित करता है कि Investors को सही और पारदर्शी जानकारी मिले और उनके निवेश का गलत उपयोग न हो।

Securities market में पारदर्शिता लाना

SEBI बाजार में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए नियम और दिशानिर्देश जारी करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि सभी Market Participants को समान अवसर मिले और Market में कोई हेरफेर न हो।

Market में अनुशासन बनाए रखना

 SEBI यह सुनिश्चित करता है कि Companies, Brokers, Mutual Funds और अन्य वित्तीय संस्थाएँ तय नियमों का पालन करें। अगर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो SEBI उनके खिलाफ कार्रवाई करता है।

प्रतिभूतियों का विनियमन

SEBI विभिन्न प्रतिभूति बाजारों जैसे Shares, Bonds, Mutual Funds आदि के लेन-देन को विनियमित करता है। यह सुनिश्चित करता है कि लेन-देन सही तरीके से और बिना किसी धोखाधड़ी के हो।

Investors को जागरूक करना

SEBI का एक और उद्देश्य निवेशकों को वित्तीय जानकारी और बाजार की सही समझ देना है। इसके लिए यह विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम चलाता है ताकि लोग समझदारी से निवेश कर सकें।

नियमों का निर्माण और क्रियान्वयन

 SEBI बाजार में अनुशासन बनाए रखने के लिए नियम और कानून बनाता है। यह सुनिश्चित करता है कि सभी कंपनियाँ और ब्रोकर इन्हें सही से लागू करें। अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता है, तो SEBI उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करता है।

Competition को बढ़ावा देना

 SEBI का उद्देश्य बाजार में स्वस्थ Competition को बढ़ावा देना है ताकि निवेशक और कंपनियाँ दोनों को लाभ हो। इसके तहत यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी कंपनी या broker market  में मोनोपॉली न बनाए।

Market में नई प्रतिभूतियों का परिचालन

SEBI यह सुनिश्चित करता है कि जब भी कोई कंपनी अपनी नई प्रतिभूतियाँ (जैसे शेयर या बॉन्ड) जारी करती है, तो वह प्रक्रिया पारदर्शी और सही तरीके से हो। IPO (Initial Public Offering) के मामलों में भी SEBI की भूमिका अहम होती है।

इन उद्देश्यों के माध्यम से SEBI भारतीय प्रतिभूति बाजार में अनुशासन, पारदर्शिता और सुरक्षा सुनिश्चित करता है ताकि निवेशक सुरक्षित और आत्मविश्वास के साथ बाजार में निवेश कर सकें।

SEBI किस प्रकार से निवेशकों की सुरक्षा करता है?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) विभिन्न तरीकों से Investor की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। इसके लिए SEBI ने कई नियम और व्यवस्थाएँ बनाई हैं, जिनसे यह निवेशकों को धोखाधड़ी और irregularities से बचाता है। यहाँ कुछ प्रमुख तरीके बताए गए हैं जिनके माध्यम से SEBI निवेशकों की सुरक्षा करता है ।

sebi full form
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सूचना की पारदर्शिता सुनिश्चित करना

 SEBI यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ और Financial Institutions अपनी वित्तीय स्थिति, भविष्य की योजनाओं और जोखिमों के बारे में सही और पारदर्शी जानकारी दें। इससे Investors को सही जानकारी के आधार पर निवेश निर्णय लेने में मदद मिलती है।

IPO और अन्य प्रतिभूतियों का विनियमन

जब भी कोई कंपनी IPO (Initial Public Offering) लाती है या अन्य प्रतिभूतियाँ (securities) जारी करती है, SEBI उसकी गहन जाँच-पड़ताल करता है। यह सुनिश्चित करता है कि Investors को सही जानकारी मिले और कोई धोखाधड़ी न हो। SEBI यह देखता है कि कंपनी ने अपने सभी वित्तीय और कानूनी दायित्व पूरे किए हैं।

अनियमितताओं पर कार्रवाई

अगर कोई company, broker या अन्य financial institution अनियमितता या धोखाधड़ी में शामिल पाया जाता है, तो SEBI उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करता है। इसमें जुर्माना लगाना, license रद्द करना, और कानूनी कार्रवाई शामिल हो सकती है। इसका उद्देश्य निवेशकों के पैसे और हितों की रक्षा करना है।

कंपनियों और ब्रोकरों की निगरानी

SEBI नियमित रूप से Companies, Brokers, Mutual Funds, और अन्य वित्तीय संस्थानों पर निगरानी रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि वे SEBI के द्वारा बनाए गए नियमों का पालन करें और कोई गलत गतिविधि में शामिल न हों। इससे Market में अनुशासन और पारदर्शिता बनी रहती है।

निवेशकों के लिए शिकायत निवारण प्रणाली

SEBI ने निवेशकों के लिए एक SCORES (SEBI Complaints Redress System) नामक online platform बनाया है, जहाँ वे अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। SEBI इन शिकायतों को समय पर हल करता है ताकि निवेशकों को कोई नुकसान न हो।

म्यूचुअल फंड्स का विनियमन

 SEBI mutual funds के संचालन पर भी कड़ी नजर रखता है। यह सुनिश्चित करता है कि mutual funds अपने निवेशकों के पैसे का सही इस्तेमाल करें और उनके लिए उचित लाभ सुनिश्चित करें। SEBI यह भी देखता है कि mutual funds  अपने निवेशकों को सभी जरूरी जानकारी उपलब्ध कराएँ।

stock market में हेरफेर की रोकथाम

 SEBI यह सुनिश्चित करता है कि stock market  में कोई हेरफेर न हो। जैसे कि शेयर की कीमतों को जानबूझकर बढ़ाना या गिराना, जिससे आम investors को नुकसान हो सकता है। SEBI ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करता है और हेरफेर करने वालों पर जुर्माना लगाता है।

Investors की जागरूकता बढ़ाना

SEBI नियमित रूप से निवेशकों के लिए awareness program आयोजित करता है। इसके तहत निवेशकों को सही निवेश करने के तरीके, जोखिमों से बचने, और धोखाधड़ी से कैसे बचा जाए, इस बारे में जानकारी दी जाती है। इससे investor खुद को शिक्षित कर समझदारी से निवेश कर सकते हैं।

नियमित ऑडिट और रिपोर्टिंग

 SEBI यह सुनिश्चित करता है कि कंपनियाँ और वित्तीय संस्थाएँ नियमित रूप से अपनी audit reports और अन्य वित्तीय Document प्रस्तुत करें। इससे SEBI और निवेशकों को कंपनियों की वित्तीय स्थिति के बारे में सही जानकारी मिलती है, और कोई धोखाधड़ी नहीं हो पाती।

आंतरिक व्यापार (Insider Trading) पर नियंत्रण

SEBI का एक प्रमुख उद्देश्य अंदरूनी व्यापार (Insider Trading) को रोकना है, जिसमें कंपनी के अंदरूनी लोग (जैसे, निदेशक या बड़े अधिकारी) अपनी विशेष जानकारी का उपयोग कर निवेश कर सकते हैं। SEBI ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करता है ताकि निवेशक निष्पक्ष रूप से निवेश कर सकें।

इन सभी तरीकों से SEBI यह सुनिश्चित करता है कि निवेशक सुरक्षित रहें, Market में धोखाधड़ी कम हो, और उन्हें सही जानकारी मिल सके। इसका मुख्य उद्देश्य Investor को एक सुरक्षित और निष्पक्ष निवेश माहौल प्रदान करना है।

सेबी में अनुपलब्धि प्रमाणपत्र (IPO) कैसे होते हैं?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) IPO (Initial Public Offering) प्रक्रिया के दौरान अनुपालन प्रमाणपत्रों की मांग करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कंपनी ने सभी कानूनी और नियामक प्रक्रियाओं का पालन किया है।

यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि IPO के माध्यम से कंपनियाँ पहली बार अपने शेयर आम जनता को बेचती हैं। SEBI यह सुनिश्चित करता है कि निवेशकों को सही जानकारी मिले और उनके हित सुरक्षित रहें।

SEBI में IPO की प्रक्रिया और अनुपलब्धि प्रमाणपत्र (Compliance Certificate) निम्नलिखित प्रकार से होते हैं ।

ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP)

जब कोई कंपनी IPO लाना चाहती है, तो उसे सबसे पहले SEBI के पास ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) दाखिल करना होता है। यह एक प्रारंभिक दस्तावेज होता है जिसमें कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होती है, जैसे-

  • कंपनी का व्यवसाय
  • वित्तीय स्थिति
  • जोखिम कारक
  • IPO के उद्देश्य
  • कंपनी की रणनीतियाँ

SEBI इन Document की समीक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि इसमें दी गई सभी जानकारी निवेशकों के लिए पूरी और पारदर्शी हो। यदि किसी भी जानकारी में कमी या अनियमितता पाई जाती है, तो SEBI कंपनी को बदलाव करने का निर्देश देता है।

कंपनी की वित्तीय और कानूनी स्थिति का सत्यापन

 SEBI यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति ठीक है और उसने सभी कर, कानूनी और अन्य वित्तीय दायित्वों को सही से निभाया है। इसके लिए SEBI कंपनी से audit report और अन्य Certificate माँगता है, जिससे यह पुष्टि की जा सके कि कंपनी वित्तीय रूप से स्वस्थ है।

SEBI द्वारा अनुपालन प्रमाणपत्र (Compliance Certificate) जारी करना

 SEBI द्वारा दिए जाने वाले Compliance Certificate यह सुनिश्चित करते हैं कि कंपनी ने IPO प्रक्रिया से संबंधित सभी नियमों और दिशानिर्देशों का पालन किया है। इस प्रमाणपत्र के तहत निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखा जाता है:

  1. कंपनी का वित्तीय अनुशासन- कंपनी के वित्तीय दस्तावेज सही होने चाहिए।
  2. कानूनी अनुपालन- कंपनी ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं का सही ढंग से पालन किया हो।
  3. उचित प्रकटीकरण (Disclosure)- कंपनी ने निवेशकों को सभी जरूरी जानकारी स्पष्ट रूप से दी हो।

Insider trading और प्राइस मैनिपुलेशन की रोकथाम

SEBI यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी के अंदरूनी लोग (Insider) कोई गलत तरीके से शेयर की कीमतें न बढ़ाएँ या गिराएँ। यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि IPO के दौरान कोई हेरफेर न हो। SEBI इस प्रक्रिया में सख्त नियमों का पालन कराता है।

निवेशकों की सुरक्षा

SEBI की प्राथमिकता निवेशकों की सुरक्षा होती है। Compliance Certificate के माध्यम से SEBI यह सुनिश्चित करता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति, कानूनी अनुपालन, और सभी महत्वपूर्ण जानकारी सही और पूरी तरह से निवेशकों तक पहुँचाई गई है। इससे निवेशकों को सही decision लेने में मदद मिलती है और उनका पैसा सुरक्षित रहता है।

ग्रीन सिग्नल (Approval) मिलना

जब SEBI यह सुनिश्चित कर लेता है कि कंपनी ने सभी नियमों का पालन किया है और सभी Compliance Certificate जमा कर दिए हैं, तब SEBI कंपनी को IPO लॉन्च करने की अनुमति देता है। इसके बाद कंपनी अपने IPO को सार्वजनिक रूप से पेश कर सकती है।

IPO में रजिस्ट्रार और बैंकर्स की भूमिका

 SEBI यह भी देखता है कि IPO प्रक्रिया में शामिल रजिस्ट्रार और बैंकर्स (जो शेयरों का आवंटन और धन संग्रह करते हैं) ने सभी नियमों का सही से पालन किया है। यदि कोई अनियमितता पाई जाती है, तो SEBI आवश्यक कार्रवाई करता है।

नियमित रिपोर्टिंग और जांच

 IPO के बाद भी, SEBI यह सुनिश्चित करता है कि company नियमित रूप से अपने वित्तीय विवरण और अन्य रिपोर्ट प्रस्तुत करती रहे। इसका उद्देश्य यह है कि investors को कंपनी की प्रगति और वित्तीय स्थिति के बारे में सही जानकारी मिलती रहे।

SEBI और RBI में क्या अंतर है?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) और RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक) दोनों ही भारत की वित्तीय प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, लेकिन उनके कार्यक्षेत्र और उद्देश्य अलग-अलग होते हैं। यहाँ SEBI और RBI के बीच मुख्य अंतर दिए गए हैं-

1. स्थापना का उद्देश्य

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड)- SEBI का मुख्य उद्देश्य भारत के प्रतिभूति बाजार (securities market) जैसे Stock Market, Mutual Funds, और ब्रोकरों को नियंत्रित करना है। यह निवेशकों के हितों की रक्षा करने और वित्तीय बाजारों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए काम करता है।

RBI (भारतीय रिज़र्व बैंक)- RBI भारत का केंद्रीय बैंक है, जिसका मुख्य काम मुद्रा और बैंकिंग प्रणाली का नियंत्रण और विनियमन करना है। इसका उद्देश्य मुद्रास्फीति (inflation) को नियंत्रित करना, आर्थिक स्थिरता बनाए रखना, और भारत के बैंकिंग क्षेत्र को सुरक्षित और सुदृढ़ बनाना है।

2. मुख्य कार्यक्षेत्र

SEBI SEBI का काम शेयर बाजार और अन्य प्रतिभूतियों से संबंधित गतिविधियों का विनियमन करना है, जैसे –

  • शेयर बाजार का संचालन
  • आईपीओ (IPO) की देखरेख
  • म्यूचुअल फंड्स का नियमन
  • निवेशकों के हितों की सुरक्षा

RBI RBI का काम मौद्रिक नीति (Monetary Policy) और बैंकिंग क्षेत्र को नियंत्रित करना है, जैसे-

  • Bank नोट जारी करना
  • देश की ब्याज दरें निर्धारित करना
  • विदेशी मुद्रा का प्रबंधन
  • Commercial banks और वित्तीय संस्थानों का नियंत्रण

3. संस्थागत भूमिका-

SEBI SEBI भारत के शेयर बाजारों (जैसे NSE, BSE) और अन्य प्रतिभूति बाजारों पर निगरानी रखता है। यह यह सुनिश्चित करता है कि इन बाजारों में धोखाधड़ी, हेरफेर और अन्य अनियमितताओं से बचा जाए और निवेशकों का विश्वास बनाए रखा जाए।

RBI RBI भारत का मौद्रिक प्राधिकरण है। यह देश की monetary policy, banking regulation, और वित्तीय स्थिरता के लिए जिम्मेदार है। RBI देश के सभी Banks को नियंत्रित करता है और नकदी प्रवाह (liquidity) को प्रबंधित करता है।

4. नियंत्रण के अधीन क्षेत्र-

SEBI SEBI का नियंत्रण Stock Market, Brokers, Mutual Funds, और अन्य वित्तीय मध्यस्थों पर होता है। इसका मुख्य focus investors की सुरक्षा और प्रतिभूतियों के बाजार में अनुशासन बनाए रखना है।

RBI RBI का नियंत्रण बैंकिंग प्रणाली, मौद्रिक नीति, और वित्तीय संस्थान (Commercial Banks, Non-Banking Financial Companies – NBFC) पर होता है। यह मुद्रा जारी करने और देश की क्रेडिट नीति पर ध्यान केंद्रित करता है।

5. प्रमुख जिम्मेदारियाँ

SEBI

  • प्रतिभूति बाजार का विनियमन और निगरानी
  • आईपीओ और शेयर बाजार में पारदर्शिता बनाए रखना
  • निवेशकों की शिकायतों का निवारण
  • प्रतिभूतियों के बाजार में हेरफेर और धोखाधड़ी को रोकना

RBI

  • मौद्रिक नीति निर्धारित करना (जैसे ब्याज दरें, नकद आरक्षित अनुपात)
  • मुद्रा जारी करना और विदेशी मुद्रा भंडार का प्रबंधन
  • Commercial banks को लाइसेंस जारी करना और उन्हें विनियमित करना
  • सरकारी ऋण और बांड्स का प्रबंधन

6. नियामक शक्तियाँ

SEBI  SEBI को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के तहत शक्तियाँ प्राप्त हैं, और यह निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए securities market के संचालन को नियंत्रित करता है।

RBI– RBI को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के तहत शक्तियाँ प्राप्त हैं, और यह banking system, monetary policy, और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करता है।

7. वित्तीय बाजार में भूमिका

SEBI SEBI मुख्य रूप से पूंजी बाजार (capital market) जैसे इक्विटी (equity), बॉन्ड (bonds), और म्यूचुअल फंड्स के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है।

RBI  RBI मुख्य रूप से मुद्रा बाजार (money market) और क्रेडिट प्रणाली (credit system) पर ध्यान केंद्रित करता है। यह बैंकिंग सेक्टर में नकदी की उपलब्धता और ब्याज दरों का प्रबंधन करता है।

8. शिकायत निवारण प्रणाली

SEBI  SEBI के पास निवेशकों की शिकायतें सुनने और उनका समाधान करने के लिए SCORES नामक online platform है, जहाँ निवेशक stock market and brokers से संबंधित शिकायतें दर्ज कर सकते हैं।

RBI-  RBI के पास बैंकिंग प्रणाली से जुड़ी शिकायतों को सुनने के लिए बैंकिंग लोकपाल (Banking Ombudsman) की प्रणाली है, जिसके माध्यम से customer banking से जुड़ी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं।

सेबी की नयी उपलब्धिया क्या है ?

सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने हाल के समय में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं:

T+0 सेटलमेंट प्रक्रिया

सेबी ने चुनिंदा 25 स्क्रिप्स के लिए वैकल्पिक T+0 settlement process का बीटा संस्करण लॉन्च किया है, जो ट्रेड के उसी दिन settlement को पूरा करने की अनुमति देता है, जिससे लेन-देन प्रक्रिया अधिक तेजी और पारदर्शिता के साथ हो सके ।

SCORES 2.0 और अन्य डिजिटल सुधार

 निवेशकों की शिकायतों को और प्रभावी ढंग से निपटाने के लिए सेबी ने SCORES 2.0 नामक नई तकनीक का उपयोग शुरू किया है। इसके साथ ही, सेबी ने निवेशकों के लिए एक मुफ्त ऑनलाइन “SEBI-Investor Certification Examination” की भी शुरुआत की hai।

सूचना सुरक्षा में सुधार

सेबी ने हाल ही में अपने सूचना सुरक्षा प्रबंधन प्रणाली के लिए ISO/IEC 27001:2022 प्रमाणन प्राप्त किया है, जो कि साइबर सुरक्षा और data management के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि है।

निवेशक शिक्षा को बढ़ावा

सेबी ने मोबाइल ऐप Saa₹thi 2.0 लॉन्च किया है, जो निवेशकों को व्यक्तिगत वित्त और शेयर बाजार की जानकारी के बारे में शिक्षित करने के उद्देश्य से डिज़ाइन किया गया है।

इन उपलब्धियों के माध्यम से सेबी भारतीय वित्तीय बाजार में पारदर्शिता और सुरक्षा को बेहतर बनाने की दिशा में लगातार काम कर रहा है।

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सेबी को शिकायत कैसे दर्ज करें

सेबी (Securities and Exchange Board of India) में शिकायत दर्ज करने के लिए आप निम्नलिखित तरीकों का उपयोग कर सकते हैं-

1. SCORES पोर्टल

 SEBI ने निवेशकों की शिकायतों के समाधान के लिए SCORES (SEBI Complaints Redress System) नामक एक ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया है। आप इस पोर्टल के माध्यम से अपनी शिकायत ऑनलाइन दर्ज कर सकते हैं।

  • SCORES पोर्टल](https://scores.gov.in) पर जाएं।
  • वहां “Complaint Registration” पर क्लिक करके अपनी शिकायत दर्ज करें।
  • आपको अपनी पहचान और शिकायत की जानकारी देनी होगी।

2. डाक द्वारा शिकायत

यदि आप online complaint दर्ज नहीं करना चाहते हैं, तो आप अपनी Complaint  को सेबी के क्षेत्रीय कार्यालयों में भेज सकते हैं। Complaint में अपना पूरा विवरण, समस्या और आवश्यक दस्तावेज़ों की प्रतियां शामिल करें।

3. सेबी हेल्पलाइन

आप सेबी की हेल्पलाइन पर भी कॉल कर सकते हैं और Complaint  दर्ज करने की प्रक्रिया के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर हैं-

  • 1800 22 7575 (टोल-फ्री)
  • 1800 266 7575 (टोल-फ्री)

4. SEBI ऐप

सेबी ने Saa₹thi नामक एक mobile app भी लॉन्च किया है, जिसके माध्यम से आप विभिन्न प्रकार की सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं, जिसमें शिकायत दर्ज करने का विकल्प भी शामिल है।

5. ईमेल द्वारा

 आप अपनी शिकायत ईमेल के माध्यम से भी SEBI को भेज सकते हैं। इसके लिए ईमेल आईडी पर अपनी शिकायत भेजें sebi@sebi.gov.in.

यह प्रक्रियाएँ आपको अपनी शिकायत दर्ज करने और उसके समाधान के लिए मदद करेंगी।

SEBI ऑफिसियल साईट

SEBI की मुख्य वेबसाइट

  •    https://www.sebi.gov.in](https://www.sebi.gov.in 
  •    https://scores.gov.in](https://scores.gov.in
  •    https://www.nism.ac.in](https://www.nism.ac.in) 
  • Saa₹thi मोबाइल ऐप 

FAQ Of SEBI

प्रश्न 1. सेबी के प्रथम अध्यक्ष कौन थे?

सेबी (Securities and Exchange Board of India) के प्रथम अध्यक्ष डॉ. एस. ए. दवे थे। उन्होंने 1988 में सेबी के गठन के बाद इसके पहले अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभाला।

उनका कार्यकाल उस समय के दौरान हुआ जब सेबी को एक non-constitutional institution के रूप में स्थापित किया गया था। बाद में, 1992 में सेबी को पूर्ण संवैधानिक दर्जा मिला।

प्रश्न 2. Saa₹thi मोबाइल ऐप  क्या है ?

यह SEBI का आधिकारिक Mobile App है जिसे निवेशकों को जानकारी और समर्थन प्रदान करने के लिए लॉन्च किया गया है। इसे Google Play Store और Apple App Store से डाउनलोड किया जा सकता है।

प्रश्न 3. SEBI की स्थापना और मुख्यालय कन्हा है ?

SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और इसे 30 जनवरी 1992 को वैधानिक दर्जा प्राप्त हुआ ।

SEBI का मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में स्थित है, विशेष रूप से बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में इसके अलावा, SEBI के क्षेत्रीय कार्यालय नई दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई और अहमदाबाद में भी हैं ।

प्रश्न 4. SEBI का पूरा नाम क्या है ?

SEBI का पूरा नाम हिंदी में “भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” (Securities and Exchange Board of India) है।

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